Lata Mangeshkar: सिर्फ एक बार ही वाराणसी आई थीं लता जी और सबके दिलों में जगह कर गईं!
Lata Mangeshkar: इस भौतिक जगत की भौगोलिक सीमा से परे कुछ ऐतिहासिक व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनको सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता. विश्व की सबसे मीठी और हृदय तक पहुंचने वाली आवाज थी लता मंगेशकर. वह सिर्फ भारत रत्न ही नहीं महारत्न थीं...
संकल्प दुबे/वाराणसी: स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. इसी के साथ वाराणसी के संगीत घराने में लता दीदी के जाने की खबर से उनके चाहने वाले दुखी हैं. भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर एक बार ही काशी आई थीं. ज़ी मीडिया से खास बातचीत में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने बताया कि लता मंगेशकर 1950 में काशी आईं थीं और उनके दादाजी पंडित ओंकार नाथ ठाकुर की ओर से मजदा सिनेमा के सामने संगीत समारोह का आयोजन में शामिल हुई थीं. इस समय राजेश्वर आचार्य बहुत छोटे थे, लेकिन उन्हें याद है उस समय उनकी प्रसिद्धि युवाओं में खूब थी.
लता जी के अधूरे इश्क की दास्तां: इस क्रिकेटर से हुई थी मोहब्बत, लेकिन शादी नहीं की!
सिर्फ भारत रत्न ही नहीं, महारत्न भी थीं लता
इस भौतिक जगत की भौगोलिक सीमा से परे कुछ ऐतिहासिक व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनको सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता. विश्व की सबसे मीठी और हृदय तक पहुंचने वाली आवाज थी लता मंगेशकर. वह सिर्फ भारत रत्न ही नहीं महारत्न थीं. वे काशी में 1950-51 के बीच आई थीं. तब मैं बहुत छोटा था. उस दौरान मेरे दादाजी कार्यक्रम में मौजूद थे. लता मंगेशकर की आवाज मर्म से बात करती थीं और हृदय तक पहुंचती थीं.
Lata Mangeshkar Memories: जब लुका छुप्पी गाने के लिए 8 घंटे खड़ी रहीं लता दीदी!
लता जी के व्यक्तित्व को सीमा में नहीं बांधा जा सकता
कुछ ऐतिहासिक व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनको सीमा में नहीं बांधा जा सकता. लता मंगेशकर भी उन्हीं में से एक थीं. लता मंगेशकर भारत रत्न के साथ विश्व रतन भी थीं. उनकी आवाज सबके ह्रदय में प्रवेश कर जाती थी और मर्म तक पहुंचती थी. मर्म से बात करने वाली आज मर्माहद कर गई.
WATCH LIVE TV