Vijaya Ekadashi 2023 Date: जानिए कब है विजया एकादशी, इस तरह व्रत एवं पारण करने से मिलेगा मनचाहा फल
Vijaya Ekadashi 2023 : विजया एकादशी को विजय का व्रत कहा जाता है. यदि पूरे विधि-विधान से आप इस व्रत को रखते हैं तो आपके सभी रुके हुए काम पूरे होते हैं. आपका भाग्य जागृत होता है. आइए जानते हैं कब है विजया एकादशी और इसकी पूजन विधि
Vijaya Ekadashi 2023 Date: हमारी सनातन परंपरा में विजया एकादशी व्रत की विशेष अहमियत है. विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार विजय दिलाने वाली मानी जाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा होती है. विजया एकादशी पर व्रत रखने से बड़े से बड़े शक्तिशाली दुश्मन और बाधाएं पार कर ली जाती हैं. व्रत की तिथि को लेकर यदि कोई भ्रम है तो दूर कर लें. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक 16 फरवरी 2023 को इस व्रत की तिथि है. व्रत की शुरुआत सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर होगी. 17 फरवरी 2023 की सुबह 2 बजकर 49 मिनट पर समापन होगा. यानी व्रत 16 और 17 फरवरी दोनों दिन रखा जा सकता है. इस वर्ष विजया एकादशी गुरुवार के दिन पड़ने का संयोग भी बना है. गुरुवार और एकादशी दोनों श्रीहरि को समर्पित हैं.
पंचांग के मुताबिक 16 फरवरी 2023 को विजया एकादशी तिथि दिनभर रहेगी.16 फरवरी को जिन लोगों का व्रत रहेगा, उन्हें 17 फरवरी की सुबह 8 बजकर 1 मिनट से 9 बजकर 18 मिनट तक व्रत पारण करना होगा. 17 फरवरी की सुर्योदय से पहले सुबह तक रहेगी. ऐसी स्थिति में गृहस्थ लोगों के लिए 16 फरवरी को यह व्रत करना अधिक फलदायी होगा. वहीं वैष्णव संप्रदाय के भक्त और साधु-संत 17 फरवरी 2023 को विजया एकादशी का व्रत रखेंगे. 17 फरवरी को व्रत करने वाले लोगों के लिए 18 फरवरी 2023 की सुबह 7 बजकर 1 मिनट से 9 बजकर 18 मिनट तक का समय व्रत खोलने के लिए शुभ रहेगा.
विजया एकादशी के पीछे मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि विजया एकादशी व्रत करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति होती है. मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले पूरे विधि-विधान से इस व्रत को रखा था. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में केले, पीले वस्त्र, पीली मिठाई अर्पित करें. यह आपके भाग्य को जागृत करता है.
एकादशी व्रत पूजन विधि
1.यदि उपवास रखें तो बहुत बढ़िया रहेगा. यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो सात्विक भोजन ग्रहण करें.
2.घर व पूजा स्थल पर कलश की स्थापना एवं पूजन करें.
3.पूजा करते समय हाथ में पुष्प-अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लीजिए.
4.एकादशी व्रत की कथा सुनें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
5.पंच पल्लव को कलश में रखकर चतुर्भुज स्वरूप भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें और अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, फल, फूल, तुलसी एवं मिष्ठान अर्पित करें और घी के दीप प्रज्वलित कीजिए.
6.तुलसी माला से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का 108 बार जप करें. आरती उतारें और दान पुण्य करें.
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