Vivah Panchami 2022: आज है विवाह पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Vivah Panchami 2022: विवाह पंचमी प्रभु श्रीराम और माता सीता से विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है.
Vivah Panchami 2022: आज विवाह पंचमी मनाई जा रही है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम ने मां सीता के साथ विवाह किया था. इस दिन को भगवान राम और माता सीता का विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं. धर्म शास्त्रों में विवाह पंचमी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह करवाना बहुत शुभ माना जाता है.
विवाह पंचमी 2022 शुभ मुहूर्त और शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की विवाह पंचमी 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है और 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, विवाह पंचमी इस साल 28 नवंबर को मनाई जाएगी.
अभिजित मुहूर्त-सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक
अमृत काल-शाम 05 बजकर 21 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक
रवि योग-सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
विवाह पंचमी पर इस तरह कराएं राम-सीता का विवाह? और पूजन विधि
सुबह स्नान करके श्री राम विवाह का संकल्प मन में लें. इसके बाद विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें.पंचमी तिथि की सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद श्री राम का ध्यान करें.एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और आसन बिछाएं. राम जी को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र अर्पित करें. फिर दीप जलाकर तिलक करें, फल-फूल नैवेद्य अर्पित कर पूजा करें. इनके समक्ष बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें. "ॐ जानकीवल्लभाय नमः" का जाप करें. इसके बाद मां सीता और भगवान राम का गठबंधन करें और उनकी आरती करें. इसके बाद गांठ लगे वस्त्रों को अपने पास सुरक्षित रख लें. इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से सुख-शांति बनी रहती है.
जानें विवाह पंचमी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, विवाह पंचमी के दिन श्रीराम, माता सीता की विधि-विधान से पूजा करने से पुण्य मिलता है. राम-सीता की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. विवाह पंचमी के दिन अनुष्ठान करने से विवाहित लोगों का दांपत्य जीवन सुखमय होता है. इस दिन पूजा करने से मनचाहे विवाह का वरदान प्राप्त होता है.
भारत और नेपाल में धूमधाम से होता है राम-सीता का विवाह
विवाह पंचमी श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में भारत के साथ-साथ नेपाल और दुनिया भर के हिन्दू परिवारों में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता यह भी है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना भी इसी दिन पूरी की थी. यही वजह है कि इस दिन सीता-राम के मंदिरों में भव्य आयोजन होते हैं. लोग विशेष पूजन और अनुष्ठान करते हैं.भगवान राम चेतना और माता सीता प्रकृति शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं. इसलिए चेतना और प्रकृति का मिलन होने से यह दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
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