आखिर DTH की छतरी तिरछी ही क्यों लगाई जाती है, सीधी क्यों नहीं? ज्यादातर नहीं जानते इसकी वजह
एक समय था जब लंबे एंटिना के जरिए दूरदर्शन को देखा जाता था. लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया और इसमें DTH की इंट्री हुई. जिसके जरिए घर-घर तक ढेरों टीवी चैनल्स पहुंच गए. लेकिन आपने कभी गौर किया है कि छतों पर लगे होने वाले डीटीएच एंटिना को तिरछा ही क्यों लगाया जाता है और ये छतरी गोल ही क्यों होती है. अगर नहीं तो चलिए आइए हम आपको बताते हैं.
नई दिल्ली: यूं तो टेलीविजन काफी समय पहले ही घर-घर तक पहुंच चुका है. एक समय था जब लंबे एंटिना के जरिए दूरदर्शन को देखा जाता था. लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया और इसमें DTH की इंट्री हुई. जिसके जरिए घर-घर तक ढेरों टीवी चैनल्स पहुंच गए. लेकिन आपने कभी गौर किया है कि छतों पर लगे होने वाले डीटीएच एंटिना को तिरछा ही क्यों लगाया जाता है और ये छतरी गोल ही क्यों होती है. अगर नहीं तो चलिए आइए हम आपको बताते हैं.
दरअसल, ये तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि डीटीएच को सिग्नल के लिए लगाया जाता है जिसकी मदद से टीवी पर चैनल आते हैं. लेकिन अगर इसको तिरछा लगाने के के पीछे का क्या लॉजिक है और अगर इसे सीधा लगा दिया जाएगा तो क्या होगा? चलिए सवालों की इस गुत्थी को आसान करने की कोशिश करते हैं.
दरअसल, छतरी के तिरछा होने के कारण ही कोई किरण इसके कॉनकेव सरफेस से टकराकर वापस नहीं जाती है और ये किरणें सरफेस मीडियम के सामने लगे फोकस पर केंद्रित होती हैं जो फीड हॉर्न की मदद से सिग्नल डीटीएच बॉक्स तक पहुंचते हैं.
वहीं, अगर छतरी को सीधा लगाया जाए तो इसकी सरफेस पर टकराने वाली किरणें फोकस पर केंद्रित होने की जगह वापस चली जाएंगी. जिसके कारण डीटीएच बॉक्स तक कोई सिग्नल नहीं पहुंचेगा.
बता दें, कि डीटीएच यानी डॉयरेक्ट तो होम ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से बिना तार के टीवी चैनल्स देखे जा सकते हैं. इसमें बस छत पर एक छतरी लगाई जाती है जो सैटेलाइट से डायरेक्ट सिंग्नल रिसीव करती है. वहीं, सेटअप बॉक्स सेटेलाइट के सिग्नल को डिकोड कर टीवी तक पहुंचाता है. जिसके जरिए हम टीवी पर कोई भी चैनल देख पाते हैं.
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