कन्हैया लाल शर्मा/मथुरा: बचपन में जब भी गांव में हाथी आता था तो बच्चे उसे देखकर खुश हो जाते थे. बच्चे हाथी की सवारी की जिद करते थे, मगर धीरे-धीरे यह चलन खत्म हो गया. हर साल 12 अगस्त विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक करना है. मथुरा वाइल्डलाइफ एसओएस अब तक 50 से अधिक हाथियों की मदद कर चुका है. इन हाथियों को सालों तक दुर्व्यवहार, क्रूरता, शारीरिक और मानसिक यातना का सामना करना पड़ा. यहां हाथियों के पुनर्वास का प्रबंध किया जाता है.  


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वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे नीना, भोला, हौली और सूजी ऐसे वृद्ध हाथी हैं, जिन्हें विशेष पशु चिकित्सा और देखभाल की आवश्यकता होती है. 70 वर्ष से अधिक उम्र की सूजी मथुरा वाइल्डलाइफ एसओएस के संरक्षण केंद्र में सबसे उम्रदराज हथिनी है. सूजी की दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह खत्म हो गई है और उसके दांत भी नहीं है. इस वजह से सूजी की देखभाल करने वाले सदस्य उसका विशेष ध्यान रखते हैं, जब भी वो बाहर सैर पर जाती है तो इस बात का ध्यान रखा जाता है उसके रास्ते में कोई कंकड़ या बाधा न आए. सूजी को खाने में फलों का पेस्ट बना कर दिया जाता है. 


60 वर्ष का है बूढ़ा हाथी
लगभग 60 वर्ष की आयु वाला भोला बूढ़ा नर हाथी है. वह दृष्टिहीन है और उसकी पूंछ पर घाव भी हैं. भोला के बाड़े के लेआउट और व्यवस्था में कभी बदलाव नहीं किया जाता. बाड़े में कोई नुकीला किनारा नहीं है. इसी तरह वाइल्डलाइफ एसओएस के रखरखाव में रह रही नीना एक 60 वर्षीय बुजुर्ग हथिनी है, जो गंभीर रूप से अर्थराइटिस से पीड़ित है. वह पूरी तरह से अंधी है, जो अंकुश जैसे नुकीले अस्त्रों के प्रयोग से हुआ है.


वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के उप निदेशक डॉ. एस. इलियाराजा ने बताया कि पशु चिकित्सा टीम हाथियों की जोड़ों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सावधानीपूर्वक लेजर थेरेपी और मसाज करती है, जिससे उन्हें को काफी राहत मिलती है. इसके अतिरिक्त दर्द से निजात के लिए दवा मल्टीविटामिन की खुराक और लीवर टॉनिक के साथ-साथ स्वस्थ और पौष्टिक आहार उनकी दिनचर्या में शामिल किया जाता है


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वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि नीना, भोला और सूजी की तरह जब अन्य वृद्ध हाथियों को रेस्क्यू किया गया, तब वे बेहद ही कमजोर, कुपोषित और घायल थे. हमारी देखरेख में काफी समय बिताने के बाद आज वे अपने अतीत की यातनाओं से बाहर आ रहे हैं. विश्व हाथी दिवस पर हम इस बात को बढ़ावा देना चाहते हैं कि व्यावसायिक रूप से शोषित हाथियों के जीवन को कैसे बेहतर बनाया जा सके और उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा सके. आज अनुमान है कि भारत में करीब 2,600 से अधिक बंदी हाथी हैं. इनको सहायता प्रदान करने के लिए बहुत ही अधिक संसाधनों की आवश्यकता है. हम एक ऐसा भविष्य देखना चाहते हैं जहां सड़कों पर हाथियों से भीख मंगवाना बंद हो सके.


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