लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लोगों को फ्री में कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने छोटे-मोटे झगड़ो के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (LADCS) लागू करने का निर्णय लिया है. यह दो वर्षों के लिए लागू किया गया है. साथ ही सरकार ने लोगों से इसका लाभ लेने की अपील की है. ताकि आम जनता की समस्याओं का निपटारा जल्द हो सके. साथ ही लोगों को फ्री में लीगल ऐड मिल सके. नई प्रणाली के मुताबिक चीफ, डिप्टी एवं असिस्टेंट काउंसिल के माध्यम से लोगों को कानूनी सहायता दी जाएगी.


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कमजोर वर्ग को प्रभावी कानूनी सेवाएं देगा एलएडीसीएस
योगी सरकार का एलएडीसीएस का लागू करने का उद्​देश्य समाज के कमजोर और निर्बल वर्गों को प्रभावी और कुशल कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए न्यायालय आधारित कानूनी सेवाओं को मजबूत करना है. साथ ही पात्र व्यक्तियों को आपराधिक मामलों में गुणात्मक और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करेगा. इसका लाभ अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्य उठा सकते हैं. किसी व्यक्ति द्वारा किए जा रहे अवैध व्यापार से पीड़ित इसका सीधा लाभ ले सकेगा.


यह उठा सकेंगे एलएडीसीएस का लाभ
- प्रदेश की पीड़ित की महिलाओं, बेटियां और बच्चे.
- दृष्टिहीनता, कुष्ठ रोग, बहरेपन, दिमागी कमजोरी आदि निर्योग्यता से ग्रस्त व्यक्ति एवं खानाबादोश व्यक्ति. 
- सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, वर्गीय अत्याचार, बाढ़, अकाल, भूकम्प अथवा औद्योगिक आपदा से पीड़ित व्यक्ति.
- औद्योगिक कामगार.
- किशोर अपचारी अर्थात 18 वर्ष तक की आयु के बालक.
- अभिरक्षा में निरुद्ध व्यक्ति.
- सुरक्षा गृह, मानसिक अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में भर्ती मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति.
- ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय तीन लाख से कम हो.


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एलएडीसीएस से मिलेंगे यह लाभ


- एलएडीसीएस मुख्यतः जिले अथवा मुख्यालय में आपराधिक मामलों में विशेष रूप से कानूनी सहायता प्रदान करने का कार्य करता है. सभी सत्र न्यायालयों, विशेष न्यायालयों, मजिस्ट्रेट न्यायालयों तथा कार्यकारी न्यायालयों में सभी विविध कार्यों सहित प्रतिनिधित्व, परीक्षण और अपील कर सकेंगे.
- जिला न्यायालय/कार्यालय में उपस्थित होने वाले व्यक्तियों को उनकी प्रतिरक्षा के लिए कानूनी सलाह और सहायता प्रदान करना.
- नालसा स्कीम के तहत गिरफ्तारी से पूर्व अवस्था में कानूनी सहायता प्रदान करना.
- फौजदारी मामलों में गिरफ्तारी पश्चात् रिमांड स्तर पर, जमानत, विचारण तथा अपील दाखिल करने के लिए.


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