मो.मुजम्मिल/देहरादून: देश का पहला वैटलैंड संरक्षण रिज़र्व इन दिनों खास विदेशी मेहमानों की मेहमान नवाजी में जुटा है.देहरादून शहर से महज 48 किलोमीटर की दूरी पर देश के इस पहले वेटलैंड संरक्षण रिजर्व पर इन दिनों हजारों की संख्या में विदेशी मेहमान पहुँच चुके हैं. ये विदेशी पक्षी आजकल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.  


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दरअसल ये विदेशी मेहमान 5000 मील की दूरी तय कर साइबेरिया से आये खास प्रजाति के पक्षी हैं. ये पक्षी हर साल सर्दियों के मौसम में कठिन सफ़र को तय कर यहां पहुंचते हैं. हालांकि देश में ये कई स्थानों में प्रवास करते हैं, लेकिन आसन वेटलैंड संरक्षण रिज़र्व इन सबमें सबसे बेहतर है. यही वज़ह है कि पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के हाथों इसे 2005 में देश का पहला वैटलैंड सरक्षण रिज़र्व बंनने का गौरव मिला. 


हर साल आते हैं 7 से 8 हजार पक्षी
440 हैक्टेयर में फैले इस कंजर्वेशन रिज़र्व में हर साल 7000 से 8000 पक्षी आते हैं. इस वेटलैंड पर अभी तक 350 प्रजाति के पक्षी देखे जा चुके हैं, जिनमें से हर साल यहां लगभग 60 प्रजाति के विदेशी पक्षी प्रवास के लिए आते हैं, जिनमें खास हैं सुरखाब ,सीखपर ,लाल चौंच , गुडगुडा ,कुर्चिया बत्तख , सुर्खिया बगुला , बड़ा पन्न्काउआ , बयारी बत्तख , मलग बगुला , करचिया बगुला आदि. 


टूरिस्ट को लुभाता है यहां का नजारा
तकरीबन 5 हजार से अधिक विदेशी पक्षियों की आमद ने जहां एक और पर्यटकों को इस झील की और आकर्षित किया है तो वहीं वन विभाग की जिम्मेदारी में भी इजाफा देखने को मिला है. विभाग विदेशी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर एलर्ट मोड़ पर है. शिकार की सम्भावनाओं से लेकर पक्षियों के व्यवहार पर भी विभाग के कर्मचारियों की पैनी नजर है.


पर्यटकों से गुलजार है वेटलैंड
हालांकि यहाँ पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए साइबेरियन पक्षियों को देखना किसी सपने से कम नहीं है. दूर दूर से लोग यहां तरह -तरह के विदेशी पक्षियों को देखने आते हैं . यहां झील किनारे बैठकर पक्षियों को निहारना और बोट पर उन्हें करीब से देखना पर्यटकों की पहली ख्वाह्हिश होती है. यही वजह है कि हजारों पक्षियों की मौजूदगी के चलते ये वेटलैंड आजकल पर्यटकों से गुलजार हो चुका है.