Haridwar News : हरिद्वार हेट स्पीच मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने कोर्ट में किया सरेंडर, जेल भेजा गया
हेट स्पीच मामले में शुक्रवार को जितेंद्र नारायण त्यागी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. धर्म संसद हेट स्पीच मामले से चर्चाओं में आए जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी एक बार फिर सरेंडर के बाद जेल भेजा गया.
हरिद्वार हेट स्पीच मामले (Haridwar Hate Speech case) में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी थोड़ी ने शुक्रवार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया. आरोपी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (Jitendra Narayan Singh Tyagi) शुक्रवार को कोर्ट पहुंचने के अपने वकील के चैंबर पहुंचे. वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) हेट स्पीच मामले में वो कोर्ट से सशर्त बेल पर थे.सरेंडर करने से पूर्व वसीम रिजवी निरंजनी अखाड़ा पहुंचे.अखाड़े के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी से भेंट कर उन्होंने आशीर्वाद लिया. कोर्ट ने 29 अगस्त को आदेश देते हुए वसीम रिजवी को 2 सितंबर तक अदालत में आत्मसमर्पण (surrender) करने को कहा था. अदालती आदेश का अनुपालन करते हुए रिजवी आज कोर्ट में हाजिर हुए.
जेल के अंदर मारने की साजिश का लगाया आरोप
कोर्ट में सरेंडर करने से पहले जितेंद्र नारायण त्यागी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी से मिलने पहुंचे. त्यागी ने कहा की इससे पहले भी मुझे ज्वालापुर के लोगों ने जेल के अंदर मारने की साजिश बनाई थी, लेकिन वह जेल प्रशासन के सख्त होने के कारण साजिश को अंजाम नहीं दे पाए. वहीं धर्म वापसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब से मैंने सनातन धर्म को अपनाया है इस लड़ाई मैं अकेला हो गया हूं लेकिन इसका मुझे कोई अफसोस नहीं है मैंने काफी सोच समझ के इस धर्म को अपनाया है. पुरी ने कहा है कि आज जब जितेंद्र नारायण त्यागी एक बार फिर जेल रहा जा रहे हैं तो हम सब का मन दुखी है कि आखिर हिंदू धर्म में आकर वसीम रिजवी जो अब जितेंद्र नारायण त्यागी बन गए हैं उन्हें मिला क्या जो साथ हम सबको जितेंद्र नारायण त्यागी का देना चाहिए था, वह हम सब ने नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका खारिज
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने यति नरसिंहानंद, जितेंद्र त्यागी की गिरफ्तारी की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.इसमें पैगंबर और इस्लाम के अनुयायियों के खिलाफ भड़काऊ और आहत करने वाली टिप्पणी को लेकर सैयद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी और यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी की मांग की गई थी.
शीर्ष अदालत ने पूछे सवाल
पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस तरह की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है.पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील से कहा, आप किसी को गिरफ्तार करने और अनुच्छेद 32 याचिका के तहत आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए कह रहे हैं? क्या आपने शिकायत दर्ज की है?
किताब पर भी प्रतिबंध की मांग
भारतीय मुस्लिम शिया इस्ना आशारी जमात द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, याचिका में जितेंद्र त्यागी की किताब 'मोहम्मद' पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है,इसके कवर और कंटेट समेत पुस्तक ने इस्लाम धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत पहुंचाया है. यह किताब अपमानजनक और भारत में धार्मिक एकता और सद्भाव के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही है.
विवादित टिप्पणी का आरोप
याचिका में त्यागी और नरसिंहानंद को इस्लाम, पैगंबर मोहम्मद और धर्म के प्रतीक के खिलाफ अपमानजनक, और भड़काऊ टिप्पणी करने से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.
याचिका अधिवक्ता सचिन सनमुखन पुजारी और अधिवक्ता फारुख खान के माध्यम से दायर की गई थी.