हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार में शांभवी धाम में अंतरराष्ट्रीय युवा परिषद उत्तराखंड का प्रथम सम्मेलन आयोजित किया गया. स्वामी आनंद स्वरूप महाराज की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में हिंदू समाज में व्याप्त जाति प्रथा को दूर कर एकजुट करने पर विचार किया गया. शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने अखाड़ा परिषद को लेकर हो रहे विवाद पर चिता जाहिर. सम्मेलन के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने प्रयागराज में हुए परिषद के चुनाव को जायज बताया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हिमालय में गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित करने के लिए तत्काल लागू हो अध्यादेश 
सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि युवा कल का भविष्य है. सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए युवाओं को अहम भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा कि मदन मोहन मालवीय के साथ हुए समझौते के आधार पर हिमालय में गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित करने के लिए सरकार तत्काल अध्यादेश लागू करे.  यदि विधानसभा चुनाव से पहले अध्यादेश लागू नहीं किया गया तो संत समाज को साथ लेकर चुनाव में भाजपा का विरोध किया जाएगा.उत्तराखंड का हिंदू युवा आज पलायन के लिए मजबूर है, पलायन तब रुकेगा, जब सनातन धर्म के मंदिर सनातनियों के पास हों और उससे चलने वाले पूरे व्यवसाय पर पूरा अधिकार हिंदुओं का हो.


शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने अखाड़ा परिषद को लेकर हो रहे विवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रयागराज में हुए परिषद के चुनाव को जायज बताया है और उम्मीद जताई कि अखाड़ा परिषद जल्द एक हो जाएगा.  उन्होंने बैरागी संतो के सहयोग से चुने गए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी महाराज से भी प्रयागराज में चुने गए दूसरे अखाड़ा परिषद को समर्थन देने की अपील की है करते हुए कहा कि वैष्णव संप्रदाय में अखाड़े की परंपरा नहीं है.


जल्दी से जल्दी एक हो अखाड़ा परिषद
उन्होंने कहा कि वे बैरागी अखाड़ों के विरोधी नहीं है. अखाड़ा परिषद दशनाम सन्यासियों का संगठन है. इसलिए अखाड़ा परिषद में बैरागी अखाड़ों को शामिल होने की आवश्यकता नहीं है.। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि अखाड़ा परिषद जल्दी से जल्दी एक हो. उन्होंने बताया कि शंकराचार्य परिषद जल्द ही देश भर की चारों शंकराचार्य पीठ पर युवा संतो को बैठायेगी. 


होनी चाहिए चारों पीठों पर योग्य युवा की नियुक्ति 
शंकराचार्य परिषद प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप के अनुसार देश की चारों पीठों पर बैठे शंकराचार्य अब वयोवृद्ध हो चले हैं. ऐसे में इन चारों पीठों पर योग्य युवा की नियुक्ति होनी चाहिए और इसकी तैयारी शुरू हो गई है. अखाड़ा परिषद में भी युवा संतों की बड़ी भागीदारी की शंकराचार्य परिषद ने वकालत की है.


टहनी पर चढ़कर शरारत कर रहा था बंदर का बच्चा, मां ने इस तरह से उतारा स्टंट का भूत, देखें Video


WATCH LIVE TV