Joshimath Sinking: जोशीमठ की सड़कों पर दिखे धरती में समा जाने वाले गड्ढे, बद्रीनाथ यात्रा के पहले फिर संकट
Uttarakhand News: उत्तराखंड में भूगोल तथा भूगर्भ विज्ञानियों के दल ने जोशीमठ आपदा के कारण तथा भविष्य की योजना को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी है. जानिए क्या कुछ है खास...
Joshimath Sinking: जोशीमठ में आई दरारों के चौड़े होने का क्रम लगातार जारी है. इसके अलावा बदरीनाथ हाईवे पर भी कई जगह से धंसाव हो रहा है. वहीं, आज उत्तराखंड के बद्रीनाथ हाईवे पर जेपी से मारवाड़ी के बीच सड़क पर मोटी दरारें आ गईं. इस मामले में चमोली डीएम ने बीआरओ को सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा कुछ लोगों ने घरों में दरारें आने की भी शिकायत की है. इसकी जांच के लिए भी डीएम चमोली ने जोशीमठ में तैनात इंजीनियरों की टीम मौके पर भेजी है.
इन सबके बीच बद्रीनाथ और जोशीमठ में आई आपदा का अध्ययन कर रही विशेषज्ञों की टीम ने आपदा के पीछे के कारण को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी दी है. जानकारी के मुताबिक इस आपदा के तीन बड़े कारण जांच के दौरान निकलकर सामने आए हैं. बता दें कि श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के भूगर्भ जानकारों के दल ने जोशीमठ आपदा के कारण और भविष्य की तैयारियों को लेकर कुलपति को रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में जोशीमठ की प्राकृतिक संरचना के साथ हुई छेड़छाड़ को बड़ा कारण माना गया है. इसके अलावा टीम ने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं.
अध्यन के लिए बनाई गई थी तीन सदस्यीय टीम
आपको बता दें कि जमीन में आ रही दरारों के अध्यन के लिए श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ने तीन सदस्य टीम का गठन किया गया था. इस टीम में विश्वविद्यालय के ऋषिकेश कैंपस के कला संकाय के डीन व भूगोल विभाग के एचओडी प्रोफेसर डीसी गोस्वामी, भूगर्व विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण नौटियाल और जोशीमठ कैंपस के भूगर्भ विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद भट्ट शामिल थे. लगातार आ रही दरारों की इस टीम ने 25 से 28 जनवरी तक जोशीमठ की इस आपदा के पीछे के कारणों का गहन अध्ययन किया. इसके बाद आज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएस रावत को इस मामले की जांच रिपोर्ट प्रेषित की गई.
जमीन में आ रही दरारों के ये हैं कारण
आपको बता दें कि जांच टीम के लीडर प्रोफेसर डीसी गोस्वामी ने बताया कि जोशीमठ की आपदा के कई फैक्टर हैं. उन्होंने कहा कि जोशीमठ की सतही ढलान और भूगर्भीय चट्टानों का ढलान एक दिशा में है. खास बात ये है कि ये क्षेत्र काफी लंबे समय तक ग्लेशियर रहा, जिससे सतह पर ग्लेशियर के टूटने वाले भारी बोल्डर जमा हैं. इसके अलावा जोशीमठ के नीचे भूगर्भीय जल भंडार है. इसी स्थान पर हो रही टनल की खुदाई से जल भंडार में रिसाव हो गया था, जो इस आपदा का बड़ा कारण बना है.
बहुमंजिला भवन का निर्माण भी वजह
प्रोफेसर ने बताया कि जोशीमठ जिस भूगर्भीय संरचना पर बसा है, उस पर असीमित निर्माण भी इसका बड़ा कारक है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में लगभग 28 फीट से अधिक ऊंची इमारत का निर्माण नहीं होने चाहिए. वहीं, मौजूदा समय में यहां 8 मंजिला इमारत बना दी गई हैं. इस स्थिति के उत्पन्न होने के पीछे ये भी बड़ा कारण है. इसके अलावा इस मामले को लेकर टीम ने कई अहम सुझाव भी दिए हैं. बता दें कि ये रिपोर्ट राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के अलावा आपदा प्रबंधन को भेजी जाएगी.
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