Lansdowne : मशहूर हिल स्टेशन लैंसडाउन अब कालू का डांडा कहलाएगा, उत्तराखंड के कई अन्य टूरिस्ट प्लेस के नाम भी बदलेंगे
Lansdowne : उत्तराखंड का मशहूर हिल स्टेशन लैंसडाउन अब कालू का डांडा कहलाएगा, कई अन्य टूरिस्ट प्लेस के नाम बदलेंगे
Lansdowne New Name : उत्तराखंड के मशहूर टूरिस्ट प्लेस लैंसडाउन का नाम बदलने की तैयारी है. पौड़ी जिले में छावनी परिषद क्षेत्र लैंसडाउन का नाम बदलने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है. 132 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन लैंसडाउन का ये नाम रखा गया था. खबरों के मुताबिक, लैंसडाउन का नया नाम कालू का डांडा हो सकता है. कालू का डांडा का मतलब काला पहाड़ होता है.सूत्रों का कहना है कि आर्मी हेड क्वार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिश काल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों,नगरों और उप नगरों के नाम बदलने के प्रस्ताव मांगे हैं. इससे पहले हेनरी पेटी फिट्जमॉरिस के नाम पर रखे गए लैंसडाउन चौक का नाम बदलकर गढ़वाल के राजा महाराजा प्रद्युम्न शाह चौक किया जा चुका है.
लैंसडाउन 1888 से 1894 के दौरान वायसराय ऑफ इंडिया रहे. तब यहां की आबादी 4 हजार से भी कम थी. गढ़वालियों ने यहां अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. यहां देवदार के साथ ब्लू पाइन के घने जंगल मनमोह लेते हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलकर प्रयागराज किया जा चुका है. मुगलसराय (Mugalsarai) का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर और झांसी रेलवे स्टेशन का नाम रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर किया जा चुका है. मध्य प्रदेश का हबीबगंज रेलवे स्टेशन अब गोंड रानी कमलापति के नाम पर किया गया था.
नोएडा-ग्रेटर नोएडा से 250 किलोमीटर दूर
नोएडा-ग्रेटर नोएडा से लैंसडाउन हिल स्टेशन करीब 250 किलोमीटर दूर है. मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे के जरिये यहां पहुंचने में करीब 5-6 घंटे का वक्त लगता है. नवंबर-दिसंबर की सर्दियों में भी बर्फबारी का मजा लेने के लिए तमाम सैलानी लैंसडाउन घूमने जाते हैं.पर्वतीय क्षेत्र पौढ़ी गढ़वाल जिले के कैंट में लैंसडाउन का इलाका बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता है. उत्तराखंड के टूरिस्ट प्लेस ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार, देहरादून घूमने के लिए जाने वाले पर्यटक यहां आना नहीं भूलते हैं.
कालूडंडा (KALUDANDA) कहलाएगा अब गढ़वाल का लैंसडाउन
लैंसडाउन का पहले कालू डंडा था. गढ़वाली (Garhwal) भाषा में इसका अर्थ काला पहाड़ होता है. अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान 1857 में वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Viceroy Lord Lansdowne) की लोकप्रियता के चलते यहां का नाम बदला.ब्रिटिश अफसरों को पहाड़ी क्षेत्र काफी पसंद था औऱ यहां गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर भी था. यहां ज्यादातर लोग गढ़वाली और हिन्दी भाषा में बात करते हैं.
लैंसडाउन में कहां घूमें -
लैंसडाउन में तारकेश्वर महादेव मंदिर, ज्वालपा देवी और दुर्गा मंदिर में काफी तीर्थयात्री आते हैं. अंग्रेजों के जमाने की सेंट मैरी चर्च भी काफी लोकप्रिय है.बुल्ला या भुल्ला लेक भी नैनीताल से कम लोकप्रिय नहीं है.
सर्दी औऱ गर्मी दोनों में पसंदीदा पिकनिक स्पॉट
लैंसडाउन में मई-जून की भीषण गर्मी के दौरान हजारों पर्यटक आते हैं. सर्दियों में स्नोफॉल का आनंद उठाने यहां टूरिस्ट आते हैं. आईएसबीटी कश्मीरी गेट से कोटद्वार और दुगड्डा के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हैं। कोटद्वार, दुगड्डा, पौड़ी और उत्तराखंड राज्य के अन्य प्रमुख स्थलों से लैंसडाउन के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं। लैंसडाउन राष्ट्रीय हाइवे 119 से जुड़ा है।