पौड़ी गढ़वाल: देश भर में आज मकर संक्रांति के पावन पर्व पर श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. वी लेकिन पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में श्रद्धालु निराश होकर ही अपने घर को लौटे गए. दरअसल, यहां अलकनंदा नदी एक नाले के रूप में बहती है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर सारा पानी गया तो कहा है. आइए बताते है पूरा मामला.


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झील में रोका गया अलकनंदा का पानी 
आपको बता दें कि गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी कहे जाने वाली अलकनंदा नदी श्रीनगर में नाले के रूप में बह रही है. बता दें कि यहां तीन किलोमीटर के दायरे में नदी पूरी तरह सूख चुकी है. इसकी वजह से श्रीनगर में स्थित श्रीकोट घाट, किल्किलेश्वर घाट, शारदा घाट से श्रद्धालु बिना स्नान किए ही बैरंग वापस लौट गए. दरअसल, यहां जल विद्युत परियोजना की झील में अलकनंदा का पानी रोका गया है. जो नहर के जरिए पावर हाउस तक पहुंचता है इसलिए नगर क्षेत्र में 3 किलोमीटर के दायरे में नदी पूरी तरह सूख चुकी है, जो पानी नदी में बचा हुआ है वह भी रुका हुआ पानी है. खास बात ये है कि नदी में पूरी तरह काई जम चुकी है. 


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पानी न छोड़ने से लोग नाराज
आपको बता दें कि मकर संक्रांति के पावन अवसर पर भी जल विद्युत परियोजना द्वारा पानी न छोड़ने पर गंगा स्नान करने पहुंचे. इस दौरान स्थानीय लोगों में परियोजना के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला. वहीं, इस मामले में संत समाज ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन भी जल विद्युत परियोजना द्वारा श्रद्धालुओं के लिए अलकनंदा में पानी न छोड़ा जाना चाहिए था. ऐसा न करना परियोजना की तानाशाही को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि श्रीनगर में 90 प्रतिशत लोग हिंदू हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि हिंदू धर्म की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. हालांकि, वजह जो भी हो लोग आस्था की डुबती लगाने से वंचित रह गए.