हरेंद्र नेगी/रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये आज बुधवार को वैदिक विधि-विधान के साथ खोल दिये गये है. मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु तुंगनाथ मंदिर में मौजूद रहे. तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही तुंगनाथघाटी हर हर महादेव के नारों से गूंज उठी. अब 6 महीनों के लिए श्रद्धालु यहां बाबा तुंगनाथ के दर्शन कर सकेंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भूतनाथ मंदिर हुए हुए चोपता पहुंची थी तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली 
बता दें कपाट खुलने से पहले बाबा तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मन्दिर पहुंची थी. 25 अप्रैल को भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली पाव, चिलियाखोड, पंगेर बनियाकुंड यात्रा पड़ावों से होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास चोपता पहुंची. 


ग्रीष्मकाल के लिए खुले कपाट 
जिसके बाद आज 26 अप्रैल को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के तुंगनाथ धाम पहुंची. बाबा की डोली के धाम पहुंचने के मौके पर भजन और मांगल गीतों से डोली का स्वागत किया गया. इसके बाद वेद ऋचाओं और वैदिक मंत्रोंच्चार के साथ बाबा तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये हैं.


तुंगनाथ मंदिर में होती भगवान शिव की भुजाओं की पूजा
बता दें तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है. तुंगनाथ मंदिर सत्य तारा पर्वत पर स्थित है. कहा जाता है कि यहां सप्त ऋषियों और तारागणों ने शिव पार्वती की तपस्या कर ऊंचाई पर रहने का वरदान प्राप्त किया था.तुंगनाथ से कई पर्वतों की चोटियों के दर्शन होते हैं. तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में आता है. यह ऊखीमठ से 28 किमी दूर है.


इससे पहले केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट यात्रियों के लिए खुल चुके हैं. बद्रीनाथ धाम को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु यहां 6 महीने विश्राम करते हैं और 6 महीने भक्तों को दर्शन देते हैं.