क्या धरती में समा जाएगा जोशीमठ, उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के लिए बढ़ गया बड़ा खतरा!
Joshimath Sinking : उत्तराखंड के जोशीमठ से खौफनाक तस्वीरें सामने आ रही है. जहां घरों और होटल में दरारें बढ़ती जा रही है.
Joshimath Sinking : उत्तराखंड के जोशीमठ से खौफनाक तस्वीरें सामने आ रही है. जहां घरों और होटल में दरारें बढ़ती जा रही है. यहां तक कि इसके चलते इमारतें भी झुक रही है. साथ ही कई इलाकों में जमीन से पानी निकल रहा है. इससे एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है. इस पूरे मामले पर पीएमओ भी नजर बनाए हुए है. अब तक 75 से भी ज्यादा परिवारों को रेस्क्यू किया जा चूका है.
दरअसल जोशीमठ गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर है. यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. साथ ही यह बद्रीनाथ जैसे तीर्थ केंद्रों का भी प्रवेश द्वार है. हेमकुंड साहिब, औली, फूलों की घाटी आदि स्थानों पर जाने के लिए जोशीमठ से ही होकर गुजरना पड़ता है. यहां से भारत चीन (तिब्बत) की सीमा सिर्फ 100 किलोमीटर पर है. लिहाजा ऐसे में यह धार्मिक, पौराणिक और एतिहासिक की नहीं बल्कि स्टैटिजीकली भी महत्वपूर्व है.
जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों में बढ़ी भू-धसांव की घटना अचानक नहीं है बल्कि इस खतरे को लेकर साल 1976 में भी भविष्यवाणी कर दी गई. सालों से यहां दरारें है. लेकिन बीते कुछ दिनों में यह दरारें तेजी से बढे हैं. 1976 में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था. इतना ही नहीं बल्कि साल 2001 और 2006 में भी अलग अलग रिपोर्ट्स में इसे लेकर आगाह किया गया था.
क्यों हो रहा ऐसा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि उत्तराखंड के ज्यादातर गांव 1900 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसे हैं. यह गांव भारतीय और तिब्बती प्लेट पर बेस हुए हैं. लिहाजा ऐसे में यहां भूकंप भी आते जहां. साथ ही अलकनंदा और धौलीगंगापानी भी जोशी मठ के नीचे से भू कटाव कटाव कर रही है. जिसके चलते यह स्थिति बनी. साथ ही पिछले दो दशक में यहां अंधाधुंध विकास हुआ. जिसके चलते निर्माण कार्य और टनल के निर्माण कार्य किए गए. जिसके चलते यहां का प्राकर्तिक स्वरुप भी बिगाड़ा है. जिसके चलते आज यह हालात बन गए हैं.