पुष्कर चौधरी/ चमोली: इस बार राखी का त्योहार कुछ खास होने वाला है. क्योंकि जोशीमठ में भाइयों की लंबी उम्र के लिए भोजपत्र से राखी तैयार की जा रही है. यहां की महिलाएं अनेकों प्रकार की राखियां बना रही है. पूरा बाजार भोजपत्र से बनी सुंदर-सुंदर राखियों से सजा हुआ है. इस समय बाजारों में अनेकों प्रकार की राखियां देखने को मिल रही है कहीं लाइट वाली तो कहीं गुड़िया गुड्डे बने हुए वहीं जोशीमठ में अब महिलाओं द्वारा पौराणिक काल से दैवीय कार्य में उपयोग होने वाले और ऊंच हिमालय में पाए जाने वाले भोजपत्र से इस बार राखी बना रही है और वह बहुत ही अद्भुत दिख भी रही है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी भी भोजपत्र की तारीफ़ कर चुके हैं. 


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क्या है भोजपत्र?
भोजपत्र एक उच्च हिमालय में पाए जाने वाला वृक्ष है जिसकी खाल निकालने के साथ ही भोजपत्र तैयार होता है और इसी को उपयोग में लाया जाता है. पौराणिक काल में इस भोजपत्र पर लेखन कार्य होते थे चाहे वह पुस्तक लिखनी हो या फिर किसी को निमंत्रण पत्र देना हो. भोजपत्र पर ही सभी कार्य किये जाते थे, वहीं अब एक बार फिर से पुराने दौर को शुरू किया जा रहा है. 


पूजा-पाठ में इस्तेमाल होता है भोजपत्र 
भोजपत्र को खास कर पूजा पाठ के दौरान इस्तेमाल किया जाता है. भोजपत्र पहाड़ों में स्थित हर घर में पाया जाता है. ऐसे में भोजपत्र को सबसे शुद्ध भी माना जाता है, वहीं इस बार जोशीमठ में महिलाओं की नई पहल भोजपत्र की राखी देखने को मिल रही है, जिसे रोजाना महिलाएं अपने हाथों से बना रही है हालांकि अभी शुरुआती दौर है, लेकिन आने वाले समय में यह महिलाओं की आर्थिकी का संसाधन बनने वाला है. इससे पहले महिलाओं द्वारा बद्रीनाथ और चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ की आरती एवं तमाम प्रकार के मंत्रों का उच्चारण इस भोजपत्र के फ्रेमों पर किया जाता है. इस समय लगातार बद्रीनाथ धाम सहित यात्रा मार्गों पर महिला समूह द्वारा बेचा जा रहा है.


पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ 
बताते चले वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे वही माणा में जनसभा के दौरान नीति- माणा घाटी के भोटिया जनजाति के लोगों द्वारा प्रधानमंत्री जी को भोजपत्र के फ्रेम भेंट किया, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुत ही पसंद भी आया था. वहीं बीते माह अपने मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भोजपत्र की बात को अपने मन की बात के माध्यम से बताया था. तो अब यह भोजपत्र एक बार फिर से पहाड़ की महिला नारियों की आर्थिक की का संसाधन बनता हुआ दिखाई दे रहा है.


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