मो.गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव (एपीएस 2013) पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन के तहत चयनित 1047 अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने चयन सूची और नियुक्ति संबंधी विज्ञापन रद्द करने के लोकसेवा आयोग (public service Commission) के आदेश को निरस्त कर दिया है. 


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आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती
कोर्ट ने कहा है कि तैयार की गई चयन सूची के आधार पर ही अभ्यर्थियों के नियुक्ति की जरूरी संस्तुति की जाए. चयन हुए अभ्यर्थियों की तरफ से लोक सेवा आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.


सभी चयन प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश
गौरतलब हो कि 13 दिसंबर 2013 को लोकसेवा आयोग ने एपीएस का विज्ञापन जारी किया था. याचियों ने आयोग के विज्ञापन के अनुसार चयन प्रक्रिया में भाग लिया था. लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट में याची सफल हुए थे. इसके बाद आयोग ने 24 अगस्त 2021 को आयोग ने उपरोक्त सभी चयन प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश जारी किया था.  याचियों के मुताबिक आयोग ने कहा कि उपरोक्त विज्ञापन उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुरूप नहीं है. जिसको याचियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.


आयोग ने यह कहते हुए निरस्त किया विज्ञापन 
याचियों का कहना था कि चयन प्रक्रिया में 7 से 8 साल तक का समय लगा था. उसके बाद आयोग ने यह कहते हुए विज्ञापन निरस्त कर दिया कि ये उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सहायक सेवा नियमावली के अनुसार नहीं है. एड के मुताबिक अभ्यर्थियों को टाइपिंग टेस्ट में 25 शब्द प्रति मिनट में टाइप करने थे. इसमें 5 फीसदी तक गलतियों की छूट दी गई थी. लेकिन इस विज्ञापन में 5 प्रतिशत के अतिरिक्त 3 प्रतिशत और गलतियों को माफ करने का प्रावधान था. इस तरह कुल 8 फीसदी तक गलतियों में छूट दी गई थी. इस पर राज्य सरकार ने 10 जून 2019 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में आयोग को नियमावली के मुताबिक चयन प्रक्रिया करने का निर्देश दिया. लोक सेवा आयोग का कहना था कि सेवा नियमावली में टाइप टेस्ट में किसी प्रकार की किसी भी गलती से छूट देने का कोई प्रोसेस नहीं था, इसलिए इस चयन को निरस्त किया गया था. जबकि इस बाबत याचियों के वकील का कहना था कि ऐसा कोई टाइप टेस्ट नहीं हो सकता जिसमें कैंडीडेट कोई गलती नहीं करे.


 नियुक्तियों की संस्तुतियां जारी करने के कदम उठाने का निर्देश 
अदालत का कहना था इस लेवल पर चयन प्रक्रिया रद्द करने से सिलेक्ट हुए कैंडीडेट को नुकसान होगा और उन्हें नए सिरे से नए अभ्यर्थियों के साथ कॉम्पिटिशन में शामिल होना पड़ेगा. इसी के साथ अदालत ने आयोग के 24 अगस्त 2021 के आदेश को रद्द करते हुए 1047 कैंडीडेट की आखिरी चयन सूची के अनुसार सिलेक्टेड कैंडीडेट की नियुक्तियों की संस्तुतियां जारी करने के कदम उठाने का निर्देश दिया.


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