Bhadohi News/शरद मौर्य: उत्तर प्रदेश के भदोही में रहने सुमित सिंह जो न सिर्फ नशे की लत से दूर है बल्कि 15 साल से युवाओं को नशे से दूर करने के लिए दिन रात प्रयास रत है. सुमित आज युवाओं के लिए एक बड़ी मिसाल है. वर्तमान में उन्के साथ 25 राज्यों में लगभग 1200 से ज्यादा युवाओं की टीम है, जो नशा मुक्ति उन्मूलन की दिशा में काम कर रही है.


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कौन हैं सुमित?
युवाओं में भदोही के सुमित सिंह जो न सिर्फ नशे की लत से दूर है बल्कि 15 साल से युवाओं को भी नशे से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. सुमित आज युवाओं के लिए एक बड़ी मिसाल हैं. सुमित बताते हैं कि 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद जब वह एक बड़ी कंपनी में पहुंचे तो ट्रेनिंग के दौरान एक सीनियर ने उन्हें नशे में डूब रहे युवाओं के बारे में रूबरू कराया. जिसे सुनकर सुमित अंदर से हिल गए.


कैसे आया अभियान का विचार?
पुछ-ताछ के दौरान सुमित ने बताया, की जब उन्होनें शुरुआत की तो वह बनारस पहुंचे तो सुमित ने कहा वह बनारस को हमेशा संस्कृत की राजधानी, धर्म की नगरी, और एक अद्भुत शहर के रूप में जाना करते थे. लेकिन  बनारस के गंगा घाटों पर अंग्रेज नशा करने का अड्डा बना रहे हैं. साथ ही उन्होनें ये भी कहा की नशिले पदार्थ और शराब युवाओं को बर्बाद कर रहें है. यह देखकर सुमित के मन में बस इन चीजों से मुक्ति करने का विचार आया. वर्तमान में सुमित के साथ 25 राज्यों में लगभग 1200 से ज्यादा युवाओं की टीम है, जो नशा मुक्ति उन्मूलन की दिशा में काम कर रही है.


शुरू की नशा मुक्ति उन्मूलन यात्रा
सुमित ने युवाओं को नशे से दूर करने के लिए प्रयास शुरू किया और प्रयास सफल भी हो रहा है. सुमित का यह प्रयास पहले भदोही वाराणसी और आसपास तक सीमित था लेकिन 2022 के बाद सुमित के मन में बड़ा विचार आया. उन्होंने देश भ्रमण करते हुए नशा मुक्ति उन्मूलन यात्रा की शुरुआत की. सुमित की पहली यात्रा 45 दिनों में पूरी हुई जो लगभग 15000 किलोमीटर की थी. इस यात्रा में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, समेत अन्य हिस्सों में हुई थी. यात्रा के दौरान सुमित ने उन ज के मुख्यमंत्री और राज्यपालों से मुलाकात की और नशा उन्मूलन की दिशा में बड़े-बड़े इंस्टीट्यूटर के साथ मिलकर कार्यक्रम की है.


युवाओं को ही क्यों बनाया टार्गेट?
सिर्फ युवाओं को सुमित ने टार्गेट क्यों बनाया? ये सवाल पुछने पर सुमित कहते हैं कि हमारे काम करने का तरीका थोड़ा अलग है. हम युवाओं से मिलते हैं और युवाओं को ही इस बुरी आदत से दूर करने के लिए मजबूर करते हैं. मर चुकी और सूख चुकी पुरानी जड़ों और पेड़-पौधों यानी बुजुर्गों पर हम अगर प्रयास करेंगे तो वह नशा नहीं छोड़ेंगे, लेकिन अभी-अभी तैयार हो रही नई फसल और नए पौधे यानी युवाओं पर यदि हम काम करेंगे तो उनको समझा कर हम नशे से दूर कर सकते हैं. इसलिए हमने युवाओं को ही नशे से दूर करने के लिए प्रयास शुरू किया और प्रयास सफल भी हो रहा है.