Varanasi News: वाराणसी में 21वीं राष्ट्रीय पशुधन गणना की शुरुआत हो चुकी है. इस प्रक्रिया के तहत शहर और ग्रामीण इलाकों में सभी पशु-पक्षियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. यह अभियान फरवरी 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है. गांव से लेकर शहर के हर घर में मौजूद पशु-पक्षियों का ब्यौरा सरकारी अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा.


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गणना में लगे कर्मचारी और जिम्मेदारियां  
2019 की पशुगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख भैंस, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरियां और 4.09 लाख सुअर हैं. उन्होंने कहा कि पशुगणना हर पांच साल में होती है और इस साल 21वीं पशुगणना सितंबर से दिसंबर 2024 के बीच कराई जाएगी. इस अभियान के लिए 187 गणनाकार, 23 सुपरवाइजर और एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है.


69 स्थानों पर कार्य शुरू हो चुका है
ग्रामीण क्षेत्रों में एक गणनाकार को तीन हजार परिवारों और शहरी क्षेत्रों में चार हजार परिवारों का सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी दी गई है. कर्मचारियों को सर्वेक्षण के लिए किट और ड्यूटी चार्ट उपलब्ध करा दिए गए हैं. 69 स्थानों पर गणना का कार्य पहले ही शुरू हो चुका है. 


डिजिटल काउंटिंग की अनोखी पहल  
इस जनगणना के तहत गाय, भैंस, बकरी, गधे, श्वान, मुर्गी, बत्तख, ब्रायलर, कणकनाथ और अन्य पशु-पक्षियों का विवरण डिजिटल रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. गणनाकार हर जानवर और पक्षी की तस्वीर लेकर उसे भारत सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे. 


पशु-पक्षियों के मालिकों से अपील  
डॉ. पाठक ने पशुपालकों से अपील की है कि गणना के दौरान कर्मियों का सहयोग करें और अपने पालतू पशु या पक्षी का पूरा विवरण दर्ज कराएं. यह अभियान न केवल सरकारी रिकॉर्ड को अपडेट करेगा, बल्कि पशुधन विकास से जुड़े कई योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा. 


गणना प्रक्रिया में देरी के कारण  
वाराणसी में इस जनगणना की प्रक्रिया में थोड़ी देरी हुई क्योंकि पशु विभाग को समय पर गणना के लिए आवश्यक किट नहीं मिल पाई. हालांकि, अब अभियान की गति तेज हो चुकी है और अधिकारियों का विश्वास है कि तय समय में लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा. यह अभियान भारत सरकार के पशुधन से जुड़े राष्ट्रीय आंकड़ों को सटीक और अद्यतन करने का हिस्सा है. 


फरवरी तक का लक्ष्य  
फरवरी 2025 तक वाराणसी के हर कोने में यह गणना पूरी होनी है. यह अभियान न केवल आंकड़ों का संग्रहण करेगा, बल्कि पशु-पक्षियों के महत्व और उनके पालन-पोषण में पारदर्शिता लाने का प्रयास भी करेगा. यह अभियान भारत सरकार द्वारा पशुधन और पक्षियों की सटीक संख्या और उनकी स्थिति का पता लगाने के लिए शुरू किया गया है. वाराणसी में पशु-पक्षी मालिकों के सक्रिय सहयोग से इसे समय पर पूरा करने की उम्मीद है.


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