Varanasi Ropeway: बनारस का रोपवे एक साल बाद भी अटका, कैंट से गोदौलिया चौराहे पर मिलेगी जाम से मुक्ति
Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बनने जा रही रोपवे का निर्माण कार्य लेकिन एक साल के बाद भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका है. इसके पीछे का कारण जानने के बाद हर कोई हतप्रभ रह गया है. पढ़िए पूरी खबर ...
Varanasi Ropeway Updates: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बनने जा रही रोपवे का निर्माण कार्य लेकिन एक साल के बाद भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका है. इसके पीछे का कारण जानने के बाद हर कोई हतप्रभ रह गया है. दरअसल रोपवे का कार्य करने वाली संस्था ने बताया है कि बिजली का कनेक्शन नहीं मिलने के कारण रोपवे का संचालन शुरू नहीम किया जा सका है. तो वहीं इस मुद्दे पर वाराणसी बिजली निगम का कहना है कि परियोजन के लिए अभी तक जमीन नहीं मिली है. जिसके चलते बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा सका है. आपको बता दें कि रोपवे के लिए एक नया उपकेंद्र बनाना आवश्यक है.
कहां से कहां तक होगा रोपवे
वाराणसी में रोपवे की सुविधा वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से लेकर गोदौलिया चौक तक मिलेगी. आपको बता दें कि यह भारत का पहला सार्वजनिक परिवहन रोपवे है. रोपवे की लंबाई 3.75 किलोमीटर है. जिसके अंदर कुछ प्रमुख स्टेशनों के नाम कैंट, भारत माता मंदिर, विद्यापीठ, रथ यात्रा, गिरिजाघर, और गोदौलिया चौराहा स्टेशन हैं. रोपवे में प्रयोग होने वाले गोंडोला में एक बार में 10 लोग बैठ सकेंगे.
रोपवे के स्टेशन हो रहे तैयार
फिलहाल रोपवे के स्टेशन तैयार हो रहे हैं. जिसके लिए सभी पिलर स्थापित किए जा चुके हैं. अगले सप्ताह से इन पिलरों पर पुलिंग का काम शुरू होगा. सारे कार्य पूरा होने के बाद दिसंबर में ट्रायल रन की योजना है. हालांकि, बिजली कनेक्शन की समस्या अभी भी बनी हुई है. कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने सितंबर 2023 में ही बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. इसके लिए 33/11 केवी का एक नया उपकेंद्र बनाने की आवश्यकता है.
छात्र विरोध के कारण रुका कार्य
बिजली निगम ने काशी विद्यापीठ के भारत माता मंदिर परिसर में उपकेंद्र बनाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन छात्र विरोध के बाद यह मामला रुक गया. बिजली निगम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अगर जगह तय हो जाती है. तो उपकेंद्र का निर्माण लगभग छह महीने में पूरा होगा. क्योंकि इसमें दो पावर ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे. जिनकी क्षमता 5-5 एमवीए होगी. इसी से रोपवे को बिजली आपूर्ति की जाएगी.
विशेषज्ञों का कहना है कि
रोपवे से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इसके संचालन के लिए निर्बाध बिजली की आवश्यकता है. क्योंकि सामान्य कनेक्शन में ट्रिपिंग की समस्या हो सकती है. जिससे रोपवे का संचालन प्रभावित होगा. गंडोला केबिल की मूवमेंट को निरंतर बनाए रखने के लिए निर्बाध बिजली की जरूरत है. अगर कहीं ट्रिपिंग होती है, तो एक प्वाइंट पर दबाव पड़ेगा. जिससे कंडक्टर प्रभावित हो सकता है. बार-बार दबाव पड़ने से सुरक्षा में खतरा उत्पन्न हो सकता है. इसलिए यह आवश्यक है कि रोपवे को निर्बाध और लगातार बिजली मिलती रहे. ताकि संचालन में कोई समस्या न आए.
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