पिथौरागढ़:  उत्तराखंड़ के पिथौरागढ़ से एक बड़ी खबर सामने आई है. बताया जा रहा है, कि जन संघर्ष सेना के बैनर तले जिलाधिकारी के माध्यम से ऋषेन्द्र महर की अगुवाई में ग्राम प्रधान पहुंचे. क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अवगत कराया कि शासन द्वारा पिथौरागढ़ नगर से लगे 24 गांवों को जिला विकास प्राधिकरण में शामिल किया गया है. इन गांवों के ग्रामीणों को भवन निर्माण कराने से पहले प्लान पास कराना अनिवार्य होगा. 


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भौगोलिक परिस्थिति
प्रदेश की भाजपा सरकार प्राधिकरण के नाम पर जनता के हक-हकूकों पर डाका डालने का काम कर रही है. प्राधिकरण के नियम काफी जटिल हैं. जो सरकार के राजस्व वसूली का सबसे बड़ा जरिया बन गया है.  प्राधिकरण के नियम पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पलायन का बड़ा कारण बन जाएगा. पर्वतीय क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए यहां जिला विकास प्राधिकरण के नियम लागू करना गलत है. 


भवन स्वामी की जीवन
प्राधिकरण के दायरे में शामिल किए गए कई गांवों तक सड़क नहीं पहुंची है और कई गांवों की सड़क से दूरी करीब 200 से 500 मीटर की है. जिस कारण ग्रामीणों को भवन निर्माण के लिए माल ढुलान कराना पड़ता है, जिसमें उनकी लाखों की धनराशि खर्च हो जाती है. जबकि एक आवासीय मकान बनाने में ही भवन स्वामी की जीवन भर की जमा-पूंजी लग जाती है. ऐसे में गांवों में विकास प्राधिकरण के नियम लागू होने से ग्रामीणों के लिए अपने सपनों का आशियाना बनाना सपना ही रह जाएगा.


ग्रामीण एकजुट
सरकार ने शीघ्र अपना यह फरमान वापस नहीं लिया तो 24 गांवों के समस्त ग्रामीण एकजुट होकर सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे और आगामी लोकसभा व निकाय चुनाव में सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.


जन संघर्षसेना 
सभी उपस्थित प्रधान ,क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने कहा की जल्द जन संघर्षसेना का विस्तार करके उसके पदाधिकारी बनाकर गांव गांव जाया जाएगा और आम जन को इस जन मुद्दे से जोड़कर एक महा आंदोलन किया जाएगा


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