सनातन धर्म में साधुओ को भगवान का दर्जा दिया जाता है ,सभी साधु संतों की वेश भूषा अलग होती है
नागा साधु की वेश भूषा कुछ भी नहीं होती है ये कड़ाके की ठण्ड में भी निवस्त्र रहते है
ये सभी प्रकार के भौतिक सुख को त्याग कर ईश्वर को ढूंढ़ने की राह पर निकल पड़ते है
नागा साधु हमेशा अपने शरीर पर भस्म लगाकर और अपनी जटांए बांध कर रखते है
कहा जाता है की नागा साधु बनने की प्रक्रिया में पूरे 12 साल का समय लगता है , इस दौरान वे निवस्त्र रहते है
दीक्षा के बाद साधुओं द्वारा अपने और अपने परिवार का पिंडदान कराया जाता है, जिसे बिजवान कहते है
नागा साधु का कोई भी मकान या घर नहीं होता है, साथ ही इनके लिए एक नियम होता है की ये केवल 7 घरों से ही भिक्षा मांग सकते है, सात घरों से भिक्षा न मिलने पर इन्हे भूखा सोना पड़ सकता है
ये साधु हमेशा नग्न अवस्था में रहते है साथ ही ये युद्ध कला में माहिर होते है