दुनियाभर में 300 से ज्यादा रामायण प्रचलित हैं. उनमें वाल्मीकि रामायण, कंबन रामायण और रामचरित मानस, अद्भुत रामायण, अध्यात्म रामायण और आनंद रामायण की चर्चा ज्यादा होती है.
आपने अब तक पढ़ा होगा या सुना होगा कि भगवान राम के तीन भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न थे. लेकिन राम की बहन के बारे में कम लोग ही जानते हैं.
अगर दक्षिण की रामायण की मानें तो भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थीं. रामायण का अध्ययन करने पर हमें कई नए तथ्यों की जानकारी मिलती है.
आइए जानते हैं कि राम की यह बहन कौन थीं. इसका नाम क्या था और कहां रहती थी.
दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार राम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं.
रामायण के अनुसार शांता राजा दशरथ और कौशल्या की बेटी थीं. शांता वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं और वे अत्यधिक सुंदर भी थीं.
शांता पैदा होने के कुछ सालों के बाद ही अंगदेश के राजा रोमपद ने दत्तक पुत्री के रूप में गोद ले लिया था.
राजा रोमपद की पत्नी वर्षिणी महारानी कौशल्या की बहन थीं अर्थात राम जी की मौसी थीं.
रामजी की बड़ी बहन शांता के संबंध में तीन कथाएं हैं. पहली ये की वचन निभाने के लिए शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं.
शांता का विवाह महर्षि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि से हुआ. श्रृंगी ऋषि एक पुण्य आत्मा थे तथा जहां वे पांव रखते थे वहां यश होता था.
रामायण के अनुसार एक बार एक ब्राह्मण अपने क्षेत्र में फसल की पैदावार के लिए मदद करने के लिए राजा रोमपद के पास गया.रा
राजा ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और भक्त की बेइज्जती पर गुस्साए इंद्रदेव ने बारिश नहीं होने दी, जिस वजह से सूखा पड़ गया.
तब राजा रोमपद ने श्रृंगी ऋषि को यज्ञ करने के लिए बुलाया. यज्ञ के बाद भारी बारिश हुई. अंगदेश में उत्सव मनाया गया.
तब वर्षिणी और रोमपद ने अपनी गोद ली हुई बेटी शांता का हाथ श्रृंगी ऋषि को देने का फैसला किया.
दूसरी लोककथा के अनुसार शांता के पैदा होने पर अयोध्या में अकाल पड़ा तो सलाह दी गई कि उनकी बेटी शांता ही इसका कारण है.
राजा दशरथ ने अकाल दूर करने के लिए अपनी पुत्री शांता को वर्षिणी को दान कर दिया. उसके बाद शांता कभी अयोध्या नहीं आईं.
कुछ लोग मानते थे कि राजा दशरथ ने शांता को सिर्फ इसलिए गोद दे दिया था, क्योंकि वह लड़की होने की वजह से उनकी उत्तराधिकारी नहीं बन सकती थीं.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता. यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं.