हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाज़ार से गुज़रा हूं ख़रीदार नहीं हूं
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
जो कहा मैंने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर, हंस के कहने लगा और आप को आता क्या है
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
आई होगी किसी को हिज्र में मौत मुझ को तो नींद भी नहीं आती
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से
हंगामा है क्यूं बरपा थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है