अलीगढ़ वैसे तो तालानगरी के नाम से जाना जाता है पर यहां के कई कस्बे अलग-अलग स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं. इगलास की पहचान तो चमचम से है. सरकार ने इस मिठाई को जीआई टैग की लिस्ट में शामिल किया है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं इगलास की मशहूर मिठाई चमचम की. चमचम बहुत ही स्वादिष्ट मिठाई है. जब भी कोई इधर से होकर गुजरता है तो यहां से चमचम खरीदना नहीं भूलता.
दूध के छैना से बनने वाली ये मिठाई इतनी स्वादिष्ट होती है कि जो इसे एक बार खा ले वह दोबारा जरूर खाना चाहेगा. खास बात है कि ये चमचम सिर्फ यहीं बनती है.
इगलास अलीगढ़ शहर से 24 किमी की दूरी पर अलीगढ़-मथुरा रोड के साथ स्थित है. यह अलीगढ़ जिले की तहसीलों में से एक है. इगलास खैर शहर से 28 किमी और हाथरस शहर से 16 किमी दूर है. यह सासनी से 14 किमी और मथुरा शहर से 40 किमी दूर, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है
चमचम दूध से बनने वाली प्रसिद्ध मिठाई है. वैसे तो यह इगलास के अलावा ये मिठाई कहीं नहीं बिकती, अगर कहीं बिकती भी है तो इगलास की मशहूर चमचम कहकर ही बेचा जाता है. आपको हम बताते हैं चमचम का इतिहास.
ऐसा कहा जाता है कि साल 1944 में चमचम मिठाई बनाने की शुरुआत यहां के प्रसिद्ध हलवाई स्व. लाला रघुवरदयाल उर्फ रग्घा सेठ ने की थी. उस समय सारा काम हाथ से किया जाता था. उनकी दुकान की ख्याति आज भी दूर-दूर तक है. अब यह दुकान उनके बेटे चला रहे हैं.
चमचम बनाने के लिए दूध को फाड़कर पहले छैना तैयार किया जाता है. फिर इसे सीधे चीनी की चासनी में पकाया जाता है. बता दें कि चमचम में घी या रिफाइंड का इस्तेमाल नहीं होता है.
चमचम अगर कोई नहीं जानता हो तो इसे गुलाबजामुन ही समझेंगे. इसका रंग रूप काफी हद तक गुलाब जामुन से मिलता है. आसपास के इलाकों में चमचम का काफी क्रेज है.
पहले मिट्टी के बर्तन में चमचम की पैकिंग होती थी जिसके कारण उसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता था. अब डिजाइनदार डिब्बों में पैकिंग की जाती है. समय के साथ स्वाद के चलते मांग बढ़ी तो दुकानों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैं.