यूपी में हैं ये नामी संगीत विश्वविद्यालय, लखनऊ-वाराणसी से लेकर आजमगढ़ तक धमक

Pooja Singh
Sep 16, 2024

भारतीय संगीत

भारतीय संगीत का जादू आज भी सबके सिर चढ़कर बोलता है. इसी तरह, मन की शांति और कई रोगों के इलाज के लिए भी भारतीय संगीत का बखूबी इस्तेमाल किया जाता है.

महत्वपूर्ण प्रोफेशन

आजकल संगीत और विशेषकर भारतीय संगीत एक महत्वपूर्ण प्रोफेशन बन चुका है. ऐसे में कई प्रमुख कॉलेज और संस्थान हैं जो छात्रों को इस प्रोफेशन में निपुण बनाते हैं. आइए जानते हैं.

बनारस यूनिवर्सिटी, यूपी

बीएचयू का उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत (वोकल) में बीपीए यूजी स्तर पर 3 साल का कोर्स है. इस कोर्स को करने के लिए छात्रों के पास 12वीं में 50.0% अंक होने चाहिए.

भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय

भातखंडे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय, जिसे पहले 'मैरिस कॉलेज ऑफ हिंदुस्तानी म्यूजिक' के नाम से जाना जाता था. इसकी स्थापना पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने जुलाई 1926 में की थी.

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय

अगर आप संगीत की शिक्षा लेना चाहते हैं तो आप स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में एडमिशन ले सकते हैं. ये विश्वविद्यालय भी छात्रों को स्पेशल कोर्स कराता है.

डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय

डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय का ललित कला और संगीत विभाग उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में है. ये पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) और नेपाल के पूरे क्षेत्र को कवर करता है.

संगीत अकादमी, हरिहरपुर

यूपी में पहला संगीत डिग्री कॉलेज संगीत अकादमी, हरिहरपुर है. जिसके संचालन के लिए सरकार ने 10 करोड़ से अधिक का बजट दिया था. इसे भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के अधीन किया गया है.

400 साल पुराना घराना

आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव को बनारस घराने के समान ही हरिहरपुर घराने के नाम से जाना जाता है. इस गांव में हर एक घर में संगीत की साधना होती है. इस घराने का सफर लगभग 400 साल पुराना है.

प्रयागराज के दो भाई

प्रयागराज के हंडिया से दो सगे भाई पंडित हरिराम दास और सारी नाम दास घर बार छोड़कर आजमगढ़ आकर बसे थे. आजम शाह के पूर्वजों ने संगीत कला से खुश होकर 989 बीघा जमीन इन्हें दान में दी थी.

हरिहरपुर संगीत घराना

दोनों भाइयों ने गायन से हरिराम का कुनबा बढ़ता गया और पूरा गांव हरिहरपुर के नाम से जाना गया, जो आगे चलकर हरिहर पर घराने के नाम से जाना गया. खास तौर पर यहां ब्राह्मण परिवार के बच्चों को पढ़ाई के साथ संगीत की शिक्षा दी जाती है.

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