नैनीताल लोगों के बीच सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन में से एक है. यहां पर भीमताल, मालवा ताल, लोकमताल, समेत 7 मुख्य ताल हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
स्कंद पुराण के मुताबिक, नैनीताल को त्रि-ऋषि-सरोवर के नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि अत्रि, पुलस्त्य, और पुलक नाम के तीन ऋषि यहां तपस्या करने आए थे.
नैनीताल को 64 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि सती के जले हुए शरीर का एक हिस्सा यहां गिरा था. नैनीताल ऐतिहासिक रूप से कुमाऊं क्षेत्र का हिस्सा रहा है.
नैनीताल में पहाड़ों और झीलों की खूबसूरती के साथ हरे-भरे पेड़ों के प्राकृतिक नजारे देख जैसे वहीं बस जाने का मन करने लगता है.
वैसे तो यहां पर हर ताल की अपनी एक अलग खूबसूरती है, लेकिन यहां आएं तो नैनी झील जरूर जाना चाहिए. इसी झील पर नैनीताल का नाम पड़ा है. यहां का सनसेट का नजारा बेहद प्यारा दिखाई देता है.
नैनी झील के अलावा आपको नैनीताल में भीमताल जरूर विजिट करना चाहिए. इस ताल पर आकर आप प्राकृतिक नजारों में खो जाएंगे. इस ताल के बीच में बने छोटे से द्वीप की खूबसूरती देखते ही बनती है.
नैनीताल जाएं तो यहां टिफिन टॉप में भी विजिट करें. चारो तरफ पेड़ों और पहाड़ों से घिरी इस जगह पर आपको बेहद शांति मिलेगी. यहां का खुशनुमा वातावरण आपको लाइफ की सारी परेशानियां भुला देगा.
फैमिली और बच्चों के साथ नैनीताल गए हैं तो इको वेव गार्डन घूमना बेहद अच्छा रहेगा. दरअसल ये जगह जानवरों के आकार में बनी गुफाओं से मिलाकर तैयार गई है, इसलिए बच्चे यहां आकर काफी खुश होंगे.
अगर आप फैमिली के साथ ट्रिप पर गए हैं या फिर आध्यात्म से जुड़ाव है तो नैनीताल में से करीब 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित कैंची धाम में दर्शन करने जरूर जाएं. यहां आकर आपको आत्मिक शांति मिलेगी.
नैनीताल के आरक्षित वन में है. इस पक्षी अभयारण्य में 580 प्रजातियों में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पक्षी हैं. लैमर्जियर, हिमालयन ग्रिफॉन, ब्लू-विंग्ड मिनला, स्पॉटेड और स्लेटी बैक्ड फोर्कटेल जैसे अनगिनत पक्षी यहां की शोभा बढ़ाते हैं.
सेंट जॉन एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. चर्च की स्थापना 1844 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी. ये उत्तराखंड के उच्च न्यायालय से सटे नैनीताल शहर के उत्तरी छोर पर स्थित है.