नवरात्रि पर कलश स्थापना के समय करें इन मंत्रों का जाप, घर आएगी समृद्धि

Padma Shree Shubham
Sep 29, 2024

शारदीय नवरात्रि, घटस्थापना

शारदीय नवरात्रि, घटस्थापना 3 अक्टूबर 2024 (गुरुवार) को है. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना होती है.

दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए इस मंत्र का जाप

ऐसे में जिस स्थान पर कलश स्थापित हो रहा उसे दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए इस मंत्र का जाप करें- ओम भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं। पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः।।

सप्तधन बिछाते समय

कलश रखने से पहले सप्तधन बिछाते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।

इस मंत्र का जाप

कलश जहां कलश रखना हो वहां स्थापित करते हुए इस इस मंत्र का जाप करते रहें- ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।

जल भरते समय

कलश में जल भरते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।।

पल्लव रखते समय

कलश पर पल्लव रखते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम अश्वस्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता।। गोभाज इत्किलासथ यत्सनवथ पूरुषम्।।

सुपारी रखते समय

कलश में सुपारी रखते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ग्वंग हसः।।

चंदन रखते समय इस मंत्र का जाप

कलश में चंदन रखते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम त्वां गन्धर्वा अखनस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः। त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत।। इस मंत्र से कलश में चंदन लगाएं।

वस्त्र लपेटते समय

कलश पर वस्त्र लपेटते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम सुजातो ज्योतिषा सह शर्म वरूथमाऽसदत्स्वः । वासो अग्ने विश्वरूप ग्वंग सं व्ययस्व विभावसो।।

इस मंत्र का जाप करें

कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में चावल भरकर रखा जाता है जिसके लिए इस मंत्र का जाप करें- ओम पूर्णा दर्वि परा पत सुपूर्णा पुनरा पत। वस्नेव विक्रीणावहा इषमूर्ज ग्वंग शतक्रतो।।

कलश पर नारियल रखते समय

कलश पर नारियल रखते समय इस मंत्र का जाप करें- ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।

कलश की पूजा करते समय

कलश की पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करते हुए अक्षत, चंदन और फूल कलश पर चढ़ाएं और वरुण देवता का आह्वान करें- ओम तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः। अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि। ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण। ‘ओम अपां पतये वरुणाय नमः’

डिस्क्लेमर

Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.

VIEW ALL

Read Next Story