कारोबार की नजर से कानपुर यूपी का सबसे अहम शहर है. यह अपने सर्राफा कारोबार के लिए भी मशहूर है.
कानपुर की बिरहाना रोड के दोनों ओर सोने-चांदी के बड़े-बड़े शोरूम हैं. इस इलाके की हर गली में सोना-चांदी है.
यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां लक्ष्मी जी खुद विराजती हैं. यहां गलियों में दिन भर सोने-चांदी की खनक सुनाई पड़ती है.
एक समय में यहां रिजर्व बैंक से भैंसा गाड़ी से चांदी की सिल्लियां आती थीं. लेकिन आज यहां कार, ट्रेन व हवाई जहाज से व्यापारी माल ले जाते हैं.
इस बाजार का इतिहास लगभग 125 साल पुराना है. इसे उत्तर भारत का सबसे बड़ा सर्राफा बाजार भी कहा जाता है.
यहां से तीन चार सौ किलोमीटर तक व्यापारी सोना और चांदी खरीद कर ले जाते थे. इतना ही नहीं, यहां से बड़ी मात्रा में नेपाल में भी सोना और चांदी जाता था.
यहां 1000 दुकानें हैं जो सोना-चांदी आभूषण से जुड़े काम करती हैं. 1500 से ज्यादा सर्राफा से जुड़े काम वाले हैं. सर्राफा कारोबारियों की 5000 दुकानें हैं.
अंग्रेजों के जमाने में आभूषण वजनदार और भारी होते थे. गिन्नी, बिस्किट खरीदे जाते थे. तब कड़े, झांझ और लच्छे की पांच-पांच किलो तक की जोड़ी होती थी.
ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसका हूबहू सही होने का दावा या पुष्टि जीयूपीयूके नहीं करता.