दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन बेहद शुभ माने जाते हैं. इसकी पीछे हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं.
नीलकंठ पक्षी के भगवान शिव का प्रतीक कहा जाता है, इसकी देव और असुरों के समुद्र मंथन से जुड़ी है.
मान्यता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विषपान किया था तो उन्होंने नीलकंठ पक्षी का रूप धरा था.
नीलकंठ पक्षी बन शिव ने विषपान किया था इसलिए नीलकंठ पक्षी को धैर्य, त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है.
नीलकंठ पक्षी भगवान शिव की तरह हमें कठिनाइयों का साहस से सामना करने की प्रेरणा देता है.
ये भी मान्यता है कि श्रीराम ने जिस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन किये थे उसी दिन उन्होंने रावण का वध किया था.
मान्यता ये भी है कि रावण के वध से राम पर ब्रह्महत्या का पाप लगा था तो उन्होंने शिव की आराधना कर इस पाप से मुक्ति प्राप्त की थी.
श्रीराम और लक्ष्मण की तपस्या से भोलेनाथ ने उन्हें नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिये थे, तभी से नीलकंठ पक्षी को भगवान शिप का रूप माना जाता है.
श्रीराम को इस अलौकिक दर्शन के बाद से ही नीलकंठ पक्षी के दर्शन को सौभाग्य, विजय और पापों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.