चाणक्य की कुछ बातों का पालन बजट में कर लिया जाए तो राष्ट्र का सर्वांगीण विकास हो सकता है. जानते हैं बजट में युवाओं के हिस्से को लेकर क्या कहा है?
कौटिल्य के लिखे अर्थशास्त्र में आयकर का जिक्र है. राजकोष बढ़ाना और उसे जनता के कल्याण में कैसे लगाएं, इस व्यवस्था को बजट कहते हैं.
ये ग्रंथ मौर्य साम्राज्य के दौरान लिखा गया है. कौटिल्य कहते हैं कि देश पर शासन करने वाले को नैतिकता को ध्यान में रखते हुए अपना बजट बनाना चाहिए.
इसके अनुसार सरकार (राजा) की सत्ता उसके राजकोष की मजबूती पर निर्भर करती है. कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में एक श्लोक के जरिए बताया है.
चाणक्य के मुताबिक, जनता के कल्याण और देश की तरक्की के लिए बजट में युवाओं, शिक्षा, महिला विकास, कर में छूट पर विशेषतौर पर ध्यान देना चाहिए.
टैक्स का फैसला नैतिकता के मुताबिक अलग-अलग श्रेणियों में होना चाहिए. कहा जाता है कौटिल्य के समय में सबसे कम टैक्स भोजन और कृषि पर लिया जाता था.
युवाओं की तरक्की से ही देश की उन्नति संभव है. इसके लिए रोजगार के नए अवसर, शिक्षा प्राप्ति की भरपूर सुविधाएं ध्यान में रखते हुए बजट बनाया जाना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, राजा का काम समाज के सबसे 'न्यून वर्ग, महिलाओं और युवा वर्ग की उन्नति के लिए भी होना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, सरकार को ऐसी योजनाएं, सुविधाएं या छुट देनी चाहिए, जिससे इनका स्तर बढ़े और राष्ट्र सशक्त व समृद्धशाली बने.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ चाणक्य नीति पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.