उत्तर प्रदेश की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है. इनमें कई अनोखे गांव है, जिसकी पहचान देश-दुनिया में है. इन्हीं में से एक गांव मास्टरों का गांव है. इस अनोखे गांव में हर घर में एक टीचर मिल जाएगा.
यूपी के बुलंदशहर में साबितगढ़ नाम का एक गांव है. इस गांव ने देश को अब तक 400 से ज्यादा शिक्षक दे चुका है.
इस गांव के इतिहास को लेकर एक किताब भी लिखी जा चुकी है, जिसका नाम 'तहकीकी दस्तावेज' है.
इस पुस्तक को साबितगढ़ गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक हुसैन अब्बास ने ही लिखा है.
इस गांव के पहले शिक्षक 1880 में तुफैल अहमद बने. वह एक एडेड स्कूल में तकरीबन 60 साल 1940 तक शिक्षा दी.
इसके बाद आजाद भारत के इस गांव में सबसे पहले सरकारी टीचर हुसैन बने.
बुलंदशहर का साबितगढ़ गांव 1271 एकड़ में फैला है. साल 1876 में यहां पहला मदरसा खोला गया.
वर्तमान में इस गांव में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर कुल 7 विद्यालय हैं. इस गांव में करीब 600 से 650 घर हैं.
इस पूरे गांव की आबादी 17 से 18 हजार के बीच है. इस गांव के शिक्षक देशभर के कई राज्यों में तैनात रहे हैं.
आज इस गांव के बच्चे न केवल शिक्षक बन रहे हैं, बल्कि इंजीनियर, डॉक्टर और प्रशासन सेवाओं में जा रहे हैं.
वर्तमान में इस गांव से 60 से 70 बच्चे गेस्ट टीचर, ट्यूटर और स्पेशल एजुकेटर बन चुके हैं.
इस गांव की महिलाएं भी कम नहीं है. पुरुषों के बराबर की संख्या में इस गांव की औरतें सरकारी क्षेत्र में सेवा दे रही हैं.
इस गांव के पहले सिविल इंजीनियर अकबर हुसैन बने थे. वे भारत-पाक बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चले गए.
अभी इस गांव में करीब 50 लोग इंजीनियर हैं. वहीं, डॉक्टरी पेशे में लोग विदेश में भी सेवा दे रहे हैं.
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