चरखारी को सप्त सरोवरों और सुंदरता के कारण बुंदेलखंड का मिनी कश्मीर कहा जाता है.
चरखारी के सप्त सरोवरों का निर्माण चंदेलकालीन राजाओं ने करवाया था. ये सरोवर जल संरक्षण का अद्भुत नमूना हैं.
ये सातों सरोवर एक-दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं इनका अद्भुत संगम बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षिक करता है.
खास बात यह है कि इन सरोवरो में सालभर बारिश का पानी जमा रहता है और इनकी अनूठी वास्तुकला सैलानियों को खूब आकर्षित करती है.
एक तरफ चरखारी के सप्त सरोवर जहां इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं तो दूसरी यहां बने 108 मंदिरों के चलते इसे मिनी वृंदावन भी कहा जाता है.
चरखारी के इन तालाबों का निर्माण राजाओं के महल और कोठियों के पास कराया गया जहां उनके मेहमान ठहरते थे.
यहां पानी कोठी तालाब से होकर राजा जयसिंह द्वारा खुदवाए एक तालाब में पहुंचता है इसलिए इसे जयसागर कहते हैं.
जयसागर सरोवर का पानी मलखान सागर में पहुंचता है जो राजा मलखान सिंह जूदेव के नाम पर है. सर की उपाधि पाने वाले महाराज मलखान सिंह ने ही चरखारी मेला प्रारंभ कराया था.
रतन सागर राजा रतन सिंह ने खुदवाया था, जो इस सात सरोवरों की श्रृंखला का अंतिम तालाब है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.