एक बहुत प्रसिद्ध ऋषि जलवां के नाम पर इस शहर का नाम जालौन पड़ा था. इस जगह ने ऐतिहासिक रूप से कई उतार-चढ़ाव देखे हैं
जालौन जिला उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान है, जो मुख्य रूप से अपने ऐतिहासिक और धार्मिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है
15वीं सदी के अंत में बनाया गया था. इसमें 84 दरवाजे हैं, 60 फुट ऊंचे इस गंबद को लोदी सुल्तान का मकबरा माना जाता है. गुम्बद की दीवार पर जौनपुरी रूपांकनों को देखा जा सकता है.
यह यमुना के दाहिने किनारे पर स्थित एक जगह है. यह ऋषि वेद व्यास का जन्म स्थान भी है. यहां पर एक सूर्य मंदिर भी था जिसे मुगलों ने नष्ट कर दिया था इसके केवल अवशेष मात्र यहां देखने को मिलते है.
प्राचीन लंका मीनार का निर्माण सन 1874 में बाबू मथुरा प्रसाद निगम लंकेश ने कराया था। लंका का निर्माण चूना, कौड़ी, केसर, उरद की दाल से कराया गया था. उस समय निर्माण में एक लाख 75 हजार चांदी की अशर्फी की लागत लंका मीनार व परिसर के निर्माण में आयी थी.
संत तुलसीदास ने इस किले की नींव रखी थी. जगमन शाह ने 1593 में किले का निर्माण कराया था. तुलसीदास ने राजा को "एक मुखी रुद्राक्ष", एक दहिनावर्ती शुंख (शंख), और एक लक्ष्मीनारायण बटी भी भेंट की थी.
बुंदेलखंड की पूर्व कुलीनता के वास्तविक-नीले सामंती और देश के जीवन का अनुभव करना चाहते हैं तो आप यहां जा सकते है. बुंदेलखंड के चंबल घाटियों में गहराई में स्थित, 600 वर्षीय पुराना यह किला राजा समर सिंह के परिवार ने बनवाया था.
यहां घूमने का सही समय जनवरी के अंत से मार्च के अंत तक का है. इस समय यहां जाने से आप सर्दी और गर्मी के मार से आप बच सकते है
यहां पहुचने के लिए आप सड़क मार्ग और रेल मार्ग दोनों का उपयोग कर सकते है. नजदीकी रेलवे स्टेशन उरई स्टेशन है जो शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर है.