भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में एक आचार्य चाणक्य को कूटनीतिज्ञ राजनीतिज्ञ रणनीतिकार का भी वृहद ज्ञान था. उन्हें अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र का जनक भी कहा जाता है.
महान कूटनीतिज्ञ, विद्वान और रणनीतिकार आचार्य चाणक्य (Acharya Chankya) ने अपनी नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन से जुड़ी तमाम पहलुओं के बारे में जिक्र किया है.
चाणक्य नीति असल में जीवन को सरल और सफल बनाने का एक शास्त्र है. जो व्यक्ति इसमें लिखी बातों को अपनाता है वह जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।
चाणक्य द्वारा बताई गई बातें आज भी जीवन में सही प्रतीत होती हैं. आज भी उनकी नीतियों का कोई सानी नहीं है.
जीवन की परेशानियों से बचना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के इन दो श्लोकों को अपने जीवन में उतार लें.
नखीनां च नदीनां च शृंगीणां शस्त्रपाणिनाम्। विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
इस श्लोक के मुताबिक 'नखीनाम्' अर्थात बड़े-बड़े नाखूनों वाले शेर और चीते आदि प्राणियों, विशाल नदियों, 'शृंगीणाम्' अर्थात बड़े-बड़े सींग वाले सांड़ आदि पशुओं, शस्त्र धारण करने वालों, स्त्रियों और राजा से संबंधित कुल वाले इंसानों का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए.
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्। रूपवर्ती न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले ।।
इस श्लोक में चाणक्य ने कहा है कि बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न हुई कुरूप या सौंदर्य हीन कन्या से भी विवाह करें लेकिन कभी भी नीच कुल में पैदा हुई सुंदर कन्या से विवाह नहीं करें. आचार्य ने कहा है कि शादी-विवाह हमेशा अपने समान कुल में ही करना चाहिए.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.