चित्रकूट धाम में कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. आप वीकेंड पर यहां के लिए ट्रिप प्लान कर सकते हैं.
चित्रकूट से 42 किमी दूर, यह स्थान गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान माना जाता है. यहां एक तुलसी मंदिर स्थित है.
अत्री मुनि, उनकी पत्नी अनुसूया और उनके तीन बेटों ने यहां ध्यान एवं तप किया था. यहां सती अनुसुइया एक आश्रम स्थित है. मान्यता है कि सती अनुसुइया के तप से यहां मंदाकिनी नदी उत्पन्न हुईं.
यह एक छोटी सी नदी है, जो एक भूमिगत गुफा में बहती है. इसका उद्गम स्थल भी यही है और ये सिमटी भी यहीं है, इसीलिए इसे गुप्त गोदावरी कहा जाता है. गुफा में दो प्राकृतिक सिंहासन रूपी चट्टानें हैं, मान्यता है कि भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण ने यहां दरबार लगाया था.
धारकुंडी चारों ओर से पहाड़ों, पेड़-पौधों से घिरा हुआ है. माना जाता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर और दक्ष का प्रसिद्ध संवाद यहीं के एक कुंड में हुआ था, जिसे ‘अघमर्षण कुंड’ कहा जाता है. यह कुंड भूतल से करीब 100 मीटर नीचे है.
गणेशबाग कर्वी-देवंगाना रोड पर स्थित है. इसे मिनी-खजुराहो भी कहा जाता है. यहां एक बड़ानक्काशीदार मंदिर, सात मंजिला बावली और एक आवासीय महल के अवशेष अभी भी मौजूद हैं. परिसर को पेशवा विनायक राव ने बनावाया था.
‘कामदगिरी’ को लेकर मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने यहां वास किया है. चित्रकूट में किसी भी स्थान से देखे जाने पर यह पर्वत धनुषाकार दिखाई देता है.
भगवान राम को अयोध्या का राजा के रूप में अभिषेक करने के लिए, उनके भाई भरत ने सभी पवित्र तीर्थों के जल को एकत्रित कर इस कुएं में डाल दिया, जिसे भरत कूप के नाम से जाना जाने लगा. यहां भगवान राम के परिवार को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है.
शबरी वाटरफॉल मानिकपुर के जंगलों के बीच में है. मान्यता है कि भगवान राम ने शबरी माता से फल खाने के बाद इस स्थान पर स्नान किया था. इसलिए इस स्थान का नाम शबरी मैया के नाम पर पड़ा.