अगर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति मिट्टी की बनी हुई है, तो उसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
दीवाली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी को कई तरह की चीजों का भोग लगाया जाता है.
दीवाली के अगले दिन उन चीजों को पहले दान में देना चाहिए और फिर उसके बाद खुद के लिए रखना चाहिए.
दीवाली के बाद अक्सर लोग लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति से जुड़ी जाने-अनजाने कुछ गलतियां कर बैठते हैं.
दीवाली पूजा (पूजा के नियम) को दोष लग जाता है और पूजा का फल भी नहीं मिलता है, जबकि पूजा के बाद मूर्ति से जुड़े नियम हैं.
यदि मूर्ति चांदी, सोने या पीतल की है तो मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराने के बाद वापस उसके स्थान पर रख देना चाहिए या फिर तिजोरी में बैठाने चाहिए.
मूर्ति मिट्टी की है तो उसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी के पास ले जाना चाहिए और फिर नदी में प्रतिमाओं को विसर्जित करना चाहिए.
आप चाहें तो किसी शुद्ध पात्र में जल भरकर घर पर ही मूर्तियां गला सकते हैं लेकिन भूल से भी लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को पेड़ के नीचे न रखें.