उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के इस कस्बे की राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक खास पहचान है.
इस कस्बे की आबादी लगभग डेढ़ लाख के आसपास पहुंच चुकी है, लेकिन मनोरंजन के लिये यहां सिनेना हॉल तक नहीं है.
ऐसा नहीं है कि यहां कभी किसी ने सिनेमा शुरू नहीं करना चाहा, एक समय पर यहां 4 सिनेमा हॉल हुआ करते थे.
इस कस्बे में मोहन टॉकीज ,गगन टॉकीज, इंदिरा टॉकीज और तस्वीर महल टॉकीज हुआ करते थे जो या तो अब टूट चुके हैं या उनमें बैंक्वेट हॉल बन गए.
यहां अगर किसी का सिनेमा देखने का मन करे तो उसे 46 किलोमीटर दूर या तो सहारनपुर जाना पड़ता है या फिर 30 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर जाना पड़ता है.
इस कस्बे में छुट्टी का दिन एन्जॉय करने के लिए सिनेमा हॉल ही नहीं कोई मॉल या पार्क भी नहीं है, जहां परिवार के साथ घूमा फिरा जा सके.
यह कस्बा जहां मनोरंजन के नाम पर सिनेमा, पार्क या मॉल कुछ नहीं है इसका नाम देवबंद है यह नाम आपने अक्सर खबरों में सुना होगा.
देवबंद दारुल उलूम मदरसा की वजह से देश ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध है. देश- विदेश में इसे उच्च अरबी व इस्लामी शिक्षा का केंद्र माना जाता है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.