परियों की काल्पनिक शहर में हर कोई जाना चाहता है, लेकिन कई ऐसी जगहें भी है जिनका नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है.
उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जहां परियां बहुत ज्यादा भयानक है. ये जगह है परी टिब्बा की. ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों के बीच वीरान जंगल आपके रोंगटे खड़े कर सकता है.
राज्य के सबसे पहले साल 1825 में बने मुलीनगर मैंशन बेहद ही भयानक है. बाहर से बहुत ही सुंदर और आकर्षक नजर आने वाला मैंशन अंदर से बहुत खौफनाक है.
इस बात का अब तक खुलासा नहीं हो पाया कि इस मैंशन के मालिक की मौत कैसे हुई थी और कैसे ये मैंशन इतना भयानक बन गया कि लोग उसके पास से गुजरने से भी डरते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि मैंशन के पहले मालिक कैप्टन यंग की प्रेत आत्मा यहां घूमती है.
चंपावत का स्वाला गांव पहले आबाद हुआ करता था, लेकिन आज घोस्ट विलेज में तब्दील हो चुका है. कहा जाता है कि 1952 में यहां पहाड़ी मार्ग से एक गाड़ी गुजर रही थी जिसमें 8 जवान थे, तभी अचानक जवानों की गाड़ी खाई में गिर गई थी.
हादसे में घायल जवान मदद के लिए लोगों को बुलाने लगे. कुछ स्थानीय लोग चीख -पुकार सुनकर वहां आए, लेकिन उन्हें बचाने की बजाय गाड़ी के सामान को लूटने लगे.
तड़प -तड़प कर जवानों ने अपनी जान दे दी. आज भले ही उसे गांव में कोई इंसान नहीं रहता है, लेकिन उन 8 जवानों की आत्माओं का बसेरा यहां बताया जाता है.
एक और खौफनाक कहानी भी चंपावत जनपद से ही है, जहां एबट हिल पर स्थित अभय बंगला बेहद ही खौफनाक है. रिपोर्ट्स की मानें तो यहां के नजदीकी गांव के लोगों को डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं.
इस भूतिया बंगले के पास कोई परिंदा भी नहीं मंडराता है. बताया जाता है कि पहले यह बंगला एक अंग्रेज परिवार का हुआ करता था, उन्होंने इसे अस्पताल बनाने के लिए इसे बेच दिया था.
यहां हॉस्पिटल खोला गया और बहुत लोग यहां इलाज के लिए आने लगे, लेकिन अचानक एक अजीब डॉक्टर ने इस हॉस्पिटल को भूतिया बंगले में तब्दील करने की कहानी रच दी.
यहां कार्यरत एक डॉक्टर ने लोगों की मृत्यु की भविष्यवाणी करना शुरू कर दिया और सबसे अजीबोगरीब बात यही थी कि वह जो तारीख किसी व्यक्ति की मौत के लिए बताता था उसी दिन उसकी मौत होती थी.
दरअसल, इसकी वजह थी कि वह डॉक्टर खुद फेमस होने के लिए भविष्यवाणी को सही साबित करने के लिए निर्दोष लोगों को 'मुक्ति कोठारी' नाम के कमरे में ले जाकर हत्या कर देता था.
डर की सच्ची तस्वीर अगर आपको देखनी है तो आपको मसूरी के हाथी पांव जरूर जाना चाहिए. जहां लंबी देहर माइन एक ख़ौफ़नाक खदान हजारों मजदूरों की मौत की गवाही देती है.
बताया जाता है कि 1990 में 50000 मजदूरों को खून की उल्टियां और फेफड़ों से संबंधित परेशानी हो गई थी, जिसके बाद उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी. ब्रिटिश काल से चलती आई इस खदान को साल 1996 में बंद कर दिया गया था.
भले ही ये खदान आज बंद हो गई है लेकिन आसपास के लोग बताते हैं कि रात को चीखने की आवाज लोगों को परेशान करती हैं.
यहां बताई गई सारी बातें मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.