कुंभ मेले या माघ मेले में नागा और अघोरी साधू नज़र जाएंगे जाएंगे. उनकी दुनिया बहुत रहस्यमयी होती है. आइए जानते हैं अंतर
'नागा' शब्द का अर्थ पहाड़ से होता है और इसलिए वो 'पहाड़ी' या 'नागा' कहलाते हैं. 'नागा' का अर्थ 'नग्न' रहने वाले व्यक्तियों से भी है.
अघोरी शब्द का संस्कृत भाषा में मतलब होता है 'उजाले की ओर'. यह शब्द को पवित्रता और सभी बुराइयों से मुक्त है
नागा संन्यासी कुछ दिन एक गुफा में रहते हैं ,कुछ नागा वस्त्र पहनकर तो कुछ नग्न ही गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या करते हैं
ज्यादातर अघोरी श्मशान घाट पर रहते हैं. वैसे कई अघोरी गुफाओं और सुनसान इलाकों में भी रहते हैं.
नागा साधु रात और दिन मिलाकर केवल एक ही समय भोजन करते है
अघोरी श्मशान घाट की अधजली लाशों को निकालकर उनका मांस खाते हैं, ऐसा करने से उनकी तंत्र करने की शक्ति प्रबल होती है.
अघोरी खुद को पूरी तरह से शिव में लीन करना चाहते हैं. शिव के पांच रूपों में से एक रूप 'अघोर' है.