यूपी उत्तराखंड के कितने टीचर जो आगे चलकर राजनेता बने
शिक्षक दिवस भारत में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को देश के पहले उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति, विद्वान, दार्शनिक व भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव बतौर शिक्षक अध्यापन का कार्य करते थे. उन्होंने अपना शैक्षणिक करियर करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज से शुरू किया था.
गुलाब देवी को पढ़ाई पूरी होते ही चंदौसी के कन्या इंटर कॉलेज में शिक्षक की नौकरी मिल गई. वह पॉलिटिकल साइंस पढ़ाती थीं. बाद में इसी स्कूल में प्रिंसिपल भी बनीं. गुलाब देवी का बचपन से ही संघ के प्रति जुड़ाव था, राजनीति में सक्रिय होते ही उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली.
13 वर्ष की आयु में राजनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवी के संघ से जुड़ गए थे, और समय के साथ ये जुड़ाव कम नहीं हुआ. यहां तक कि मिर्जाजपुर कॉलेज में पढाते हुए भी वो संघ के के सक्रिय कार्यकर्ता थे.
राज बहादुर चंदेल लगातार पांच बार से शिक्षक विधायक थे और ये उनकी 6 जीत थी. चंदेल उन्नाव के रहने वाले हैं और चुनाव लड़ने के पहले भी वह शिक्षक विधायक थे. वह पहली बार 1992 में शिक्षक विधायक चुने गए थे.
मनोहर सिंह जोशी ने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई मेरठ कॉलेज और मास्टर्स डिग्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से प्राप्त की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की, उन्होंने फिजिक्स में थिसिस हिंदी में लिखा था. उस समय इस काफी चर्चा हुई थी. वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर भी रह चुके हैं.
रामगोपाल यादव मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई हैं. वह राजनीति में आने से पहले कॉलेज में पढ़ाया करते थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह अपनी शिक्षक वाली नौकरी में ही खुश थे. लेकिन मुलायम सिंह के आग्रह के बाद वह राजनीति में आ गए थे.
राजनीति में आने से पहले मायावती दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षिका थीं. स्कूल में पढ़ाने के अलावा मायावती भारतीय प्रशासनिक सेवा के परीक्षाओं के लिए तैयार भी करती थीं. उन्होंने कुछ वर्षों तक दिल्ली में जेजे कॉलोनी के एक स्कूल में पढ़ाया भी है. वो टीचिंग के साथ साथ यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थीं. उनका ख्वाब आईएएस बनने का था.
रमेश पोखरियाल सन् 1982-83 के आसपास टीचर की नौकरी किया करते थे. सरस्वती शिशु मंदिर उत्तरकाशी में एक युवा आचार्य सेवारत थे.शिक्षण में निपुण लेकिन सबसे बड़ा गुण यह कि वह अपने छात्रों के घर जाकर उनकी शिक्षा और रुचि को लेकर अभिभावकों से संवाद करते थे.