क्या होता है 'श्राद्ध? पितृपक्ष से पहले समझना बहुत जरूरी

Preeti Chauhan
Sep 11, 2024

श्राद्ध हिंदू धर्म में एक विशेष कर्म

श्राद्ध संस्कार हिंदू धर्म में एक विशेष कर्म है, जिसे पितरों (मृत पूर्वजों) के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर विधि पूर्वक किया जाता है.

पितृपक्ष में श्राद्ध

श्राद्ध मुख्य रूप से पितृपक्ष के दौरान किया जाता है, जो आमतौर पर भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है.

पितरों के प्रति कृतज्ञता

श्राद्ध के माध्यम से पितृगणों के प्रति अपना सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करते हैं. 17 सितंबर से श्राद्ध आरंभ हो रहे जबकि 18 सितंबर को पितृपक्ष प्रतिपदा होगी. श्राद्ध क्या है इसके बारे में जानते हैं.

आइए जानते हैं कि श्राद्ध क्या है

इसके पहले श्राद्ध को समझना बहुत आवश्यक है.

क्या है श्राद्ध?

श्राद्ध का शाब्दिक अर्थ है "श्रद्धा से किया गया कर्म. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने हेतु जो कार्य किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहा जाता है.

शास्त्रों में इसका वर्णन

'श्रद्धया पितॄन् उद्दिश्य विधिना क्रियते यत्कर्म तत् श्राद्धम्।' अर्थात श्रद्धा के साथ पितरों के लिए किए गए कर्म को श्राद्ध कहते हैं.

श्राद्ध का शास्त्रीय अर्थ

'श्रद्धा' का अर्थ है पवित्र मन से किया गया कार्य, जो पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से किया जाता है.

विभिन्न धर्मग्रंथों में वर्णन

विभिन्न धर्मग्रंथों जैसे मनुस्मृति, पुराणों और श्राद्ध से संबंधित अन्य ग्रंथों में इसे पितृयज्ञ के रूप में वर्णित किया गया है. यह एक धार्मिक कार्य है, जिसके द्वारा पूर्वजों के प्रति आभार जताया जाता है.

महर्षि पराशर ने श्राद्ध के संबंध में कहा

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक महर्षि पराशर ने श्राद्ध के संबंध में कहा है, "देश, काल और पात्र में तिल, दर्भ(कुश) और मंत्रों से युक्त होकर जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं.

महर्षि बृहस्पति और महर्षि पुलस्त्य के अनुसार

इसी तरह, महर्षि बृहस्पति और महर्षि पुलस्त्य के अनुसार, दूध, घी और शहद से युक्त सात्विक भोजन ब्राह्मणों को प्रदान करने की प्रक्रिया को भी श्राद्ध कहा जाता है.

श्राद्ध की विधि और महत्व

श्राद्ध मुख्य रूप से पितृपक्ष के दौरान किया जाता है. इस दौरान लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और हवन करते हैं, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

डिस्क्लेमर

यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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