मंदिर में भारतीय संस्कृति की पहचान रहे वाद्य यंत्रों का दान करना चाहिए. रामायण आदि की बैठकी में इसका उपयोग होता है.
गव्य पदार्थ से भोग लगाया जाता है. दूध और दही का दान अत्यंत शुभ माना जाता है.
धन समृद्धि का प्रतीक है. धन दान से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है.
स्थानीय मंदिर में पौधे का दान करें. तुलसी, नीम, पीपल एवं फलदार पौधे भी आप दान में दे सकते हैं.
पुष्प भगवान को अत्यंत प्रिय है. मंदिर के पास आप चाहें तो पुष्प लगा भी सकते हैं.
मंदिर में होने वाले कार्यों में श्रम साधना अर्थात सेवा कार्य के लिए तत्पर रहना चाहिए.
स्थानीय मंदिर में अक्सर कुछ न कुछ निर्माण कार्य होता रहता है. ऐसे में मिट्टी का दान बहुत पुण्य का कार्य है.
अन्नदान को महादान भी कहा जाता है. अन्न स्वयं में भगवान होते हैं. इसका अर्पण शुभ अवसर पर अवश्य करना चाहिए.