रावण से युद्ध कर सीता जी को छुड़ाने के लिए श्रीराम ने वानरराज सुग्रीव की मदद ली थी. जाम्बवंत सुग्रीव के सेनापति थे
सीता की खोज के लिए जाम्बवंत ने ही समुद्र पार कर लंका जाने के लिए हनुमानजी को उनकी शक्तियां याद दिलाईं थी. हालांकि वो भी समुद्र पार करने में सक्षम थे.
जाम्बवंत अपने एक कदम से ही समुद्र लांघ सकते थे लेकिन सतयुग में जन्मे जाम्बवंत त्रेतायुग यानी रामायण काल तक बूढ़े हो चले थे.
जाम्बवंत ऋक्षराज यानी रीछों के राजा थे, पौराणिक कथाओं में जाम्बवंत की शक्ति, ज्ञान और पराक्रम के बारे में अनेक किस्से मिलते हैं.
विष्णु पुराण में देवासुर संग्राम के समय इनका जन्म ब्रह्मा के पसीने व अग्नि पुराण में अग्नि पुत्र के रूप में गंधर्व कन्या से पैदा होने का उल्लेख है.
जाम्बवंत को अमरता का वरदान प्राप्त था. भगवान विष्णु के मतस्य अवतार को छोड़कर उन्होंने सभी अवतारों के दर्शन किये थे.
जाम्बवंत का उल्लेख सतयुग, द्वापर और त्रेतायुग तीनों युगों की पौराणिक कथाओं में मिलता है. कहा जाता है जाम्बवंत आज भी जिंदा हैं.
हमारी आकाशगंगा का सप्तऋषि तारामंडल जिसे यूनान में बड़ा भालू (Larger Bear) कहा जाता है, जाम्बवंत का ही रूप कहा जाता है.
जाम्बवंत ने ही हनुमान जी को हिमालय में पाई जाने वाली 4 दुर्लभ औषधियों के बारे में बताया था जिनमें से एक संजीवनी बूटी थी.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.