ईद का त्योहार दुनियाभर के मुसलमानों के लिए खास महत्व रखता है. 11 अप्रैल को मुल्क में ईद मनाई जा रही है. इसे ईद-उल-फितर, ईद-अल-फितर, मीठी ईद या रमजान ईद भी कहा जाता है.
ईद खुशियों का त्योहार है. इस दिन लोग सुबह-सवेरे नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं और सुबह ईद की नमाज अदा करते हैं. घर पर मीठे और स्वाटिष्ट पकवान बनाए जाते हैं, बच्चों को ईदी दी जाती है और गरीबों के लिए फितरा निकाला जाता है.
लखनऊ यानी नवाबों का शहर, जिसे भारत का सबसे बड़ा और खूबसूरत शहर कहा जाता है. इस शहर की संस्कृति, खानपान और नवाबों की तहजीब के लिए देश-विदेश में जाना जाता है.
लखनऊ में आपको एक तरफ मुगल काल की कला देखने को मिलेगी, तो दूसरी तरफ 21वीं सदी का भारत. जब हम मस्जिदों के बारे में बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में सिर्फ जामा मस्जिद का ही नाम आता है.
लखनऊ में कई ऐसी मस्जिद हैं, जिनका दीदार करना चाहिए और इनका दीदार करने के लिए ईद से बेहतर पर्व हो ही नहीं सकता. आइए कुछ ऐसी मस्जिदों के बारे में ..जामा मस्जिद तेलियाबाग
जामा मस्जिद लखनऊ शहर के इमामबाड़ा इलाके में स्थित है. इसे लखनऊ की प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक माना जाता है. यह मस्जिद मुगल शैली के विशालकाय मस्जिदों में से एक है
इस मस्जिद का निर्माण मुगल साम्राज्य के समय में हुआ था. इसका निर्माण मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में 1661 ईसापूर्व में हुआ. जामा मस्जिद लखनऊ अपनी मजेस्टिक आकृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है.
पीली मस्जिद लखनऊ शहर में स्थित है, जो मुस्लिम धर्म के लिए बहुत खास है. इस मस्जिद को पीले रंग से बनाया गया है, इसलिए इसे पीली मस्जिद के नाम से जाना जाता है. पीली मस्जिद का निर्माण 7वीं सदी के अंत में शाहजहां के समय में 1 में हुआ था.
लखनऊ की मरकज मस्जिद भारत की सबसे खूबसूरत मस्जिदों से से एक है. यहां पर हर रोज नमाज़ अदा की जाती है. यह मस्जिद लखनऊ के गोमती नदी के किनारे स्थित है. इसका निर्माण मुगल साम्राज्य के शासकों के समय में हुआ था
यह इमामबाड़ा मोहम्मद अली शाह ने बनवाया जिसका निर्माण 1837 में किया गया था. इसे हुसैनाबाद इमामबाड़ा भी कहा जाता है. इस इमामबाड़े में मोहम्मद की बेटी और उसके पति का मकबरा भी बना हुआ है.