भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर बदायूं का प्रमुख धार्मिक स्थल है. शिवभक्तों के लिए यह मंदिर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
एक प्राचीन टीले पर स्थित यह गुफा रहस्य और इतिहास को समेटे हुए है. यहां एक सुरंगनुमा रास्ते के भीतर शिवलिंग स्थापित है जिसके दर्शन को हजारों श्रद्धालु आते हैं.
मुगलकालीन वास्तुकला का प्रतीक यह मकबरा "रोज़ा" नाम से प्रसिद्ध है. इसे बदायूं का काला ताजमहल भी जिसे बेगम ने अपने शौहर की याद में बनवाया था.
मुगल सम्राट अकबर के दरबार में इतिहासकार अब्दुलक़ादिर बदायूंनी का यह मकबरा उनकी स्मृति को संजोए हुए है. यह जगह इतिहास के प्रेमियों को अपनी ओर खींचती है.
बदायूं की प्राचीन धरोहरों में से यह दरगाह अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे पिसनहारी का गुंबद भी कहा जाता है.
इल्तुतमिश द्वारा बनवाई गई यह मस्जिद अपने भव्य निर्माण और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है. यहां की वास्तुकला इतिहास की गहरी छाप छोड़ती है.
नवाब फरीद की बेटी चमन आरा की याद में बनाया गया यह मकबरा अब इतिहास की छाया मात्र है. मकबरे के पास स्थित कुआं आज भी मौजूद है, जो अब बंद है.
बदायूं शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में रोपड़ का गुंबद एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह जगह इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अद्भुत आकर्षण है.
सैयद अलाउद्दीन आलम शाह ने अपनी मां की स्मृति में यह खूबसूरत मकबरा बनवाया. इसका शांत और सुंदर वातावरण प्रेमी जोड़ों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है.
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