बहुत नज़दीक आती जा रही हो। बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।।
किस लिए देखती हो आईना। तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो।।
सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं। और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं।।
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत। ग़ौर करने पे याद आती है।।
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई। तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया।।
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है। तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या।।
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते। अब कोई शिकवा हम नहीं करते।।
और तो क्या था बेचने के लिए। अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं।।
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर। अब किसे रात भर जगाती है।