न्याय की देवी का इतिहास 600 साल पुराना, अदालतों में अब आंखों में पट्टी बांधे नहीं दिखेगी

Oct 16, 2024

न्याय की देवी

आमतौर पर हम सभी ने जो कोर्ट में मूर्ति फिल्मों और नाटकों के द्वारा देखी है. उसे न्याय की देवी कहते हैं.

इतिहास

दरअसल, वह यूनान देश की देवी है. जिनका नाम जस्टिया है. इन्हीं के नाम से बाद में 'जस्टिस' शब्द बना था.

आंख पर पट्टी

इनकी आंख पर हमेशा एक पट्टी होती है. इसके पीछे कारण निष्पक्ष न्याय देना था.

भारत में कब आई

भारत में सबसे पहले इसे 17वीं एक अंग्रेजी न्यायालय अधिकारी लेकर आए थे.

प्रतिमा बदली

लेकिन 16 अक्टूबर 2024 से भारत ने न्याय की देवी की प्रतिमा को बदल लिया है.

बिना पट्टी

भारत की नई न्याय की देवी की प्रतिमा के अब से आंखों पर पट्टी नहीं होगी.

संविधान

वहीं जस्टिया की प्रतिमा में तलवार की जगह भारत की न्याय की देवी के हाथों में संविधान है.

कारण

भारत के सीजेआई के अनुसार पट्टी हटाने के पीछे कारण यह है कि कानून कभी अंधा नहीं होता है.

न्याय का प्रतीक

बल्कि उनके हाथ में तराजू का होना ही अपने आप में एक न्याय का प्रतीक है.

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