बात बच्चों की हो और खासतौर से अस्वाभाविक आदतों की बात हो तो कोई भी मां-बाप गंभीर हो जाते हैं.
बच्चों के मामले में कोई भी पैरेंट्स कोई रिस्क नहीं लेना चाहता. इसलिए जरूरी है कि बच्चों की हर एक्टिविटी के बारे में जानें.
अगर आपके बच्चे अधिक सुस्त या कम एक्टिव दिखाई देते हैं तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए.
कई बच्चों में देखा जाता है कि वे खाने को लेकर कम रुचि दिखाते हैं. ऐसे में उसकी हेल्थ पर असर पड़ सकता है.
बच्चों में अकेलापन दिखाई देता है तो भी गंभीर होने की जरूरत है. बच्चों को उनके दोस्तों के बीच भी समय बिताना चाहिए.
बच्चे में बोलने को लेकर कोई समस्या आ रही है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें. उसका हौसला बढ़ाएं और उसे बच्चों के बीच अधिक समय बिताने दें.
अगर आपका बच्चा पढ़ाई में कठिनाई महसूस कर रहा है तो उसे डांटना-फटकारना नहीं चाहिए. उसे मोटिवेट करें ताकि वह पढ़ाई को लेकर गंभीर हो सके.
कई बच्चों में देखा जाता है वह लोगों के सामने बोलने या अपनी बात रखने में हेजिटेशन महसूस करते हैं. इसके लिए समय-समय पर बच्चों का हौसला बढ़ाते रहें.
बच्चे को इस तरह से प्रेरित करें कि वह दूसरों के सुख-दुख को समझे और उसी अनुसार आचरण करे. किसी का मजाक न उड़ाए.
बच्चे की पैरेंटिंग ऐसे करें कि वह किसी भी हालात के हिसाब से खुद को सहज कर ले और उसी में ढल जाए.
बच्चे के अच्छे रुटीन की जिम्मेदारी मां-बाप की भी होती है. इस बात का ख्याल रखें और तय करें कि वह समय पर अपने सारे काम कर पाए.