गुलजार साहब की अनसुनी कहानी

Happy Birthday Gulzar: गुलजार साहब कैसे बन गए हिंदी सिनेमा के फेमस गीतकार

Padma Shree Shubham
Aug 18, 2023

पाकिस्तान से आया परिवार

गुलजार साहब का जन्म 18 अगस्त 1934 को हुआ, बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आकर अपने परिवार संग वे अमृतसर बस गए. बाद में पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आए थे.

पैसे कमाने के लिए मुंबई आए

फिर पैसे कमाने गुलजार साहब ने मुंबई का रुख किया. जहां शुरुआत उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. गैराज में भी काम उन्होंने काम किया.

फिल्म बंदिनी से मिला ब्रेक

1963 में आई फिल्म बंदिनी से गुलजार साहब को पहला ब्रेक मिला. उन्होंने इस फिल्म के लिए एक गाना लिखा था.

लेखकों से दोस्ती

दरअसल गैराज में काम करते हुए भी गजल, नज्म और शायरी से गुलजार साहब का इश्क कम नहीं हुआ. तब के जाने-माने लेखकों से उनकी दोस्ती हो गई.

गीतकार शैलेंद्र से दोस्ती

कृष्ण चंदर, राजिंदर सिंह बेदी व जाने-माने गीतकार शैलेंद्र भी उनके दोस्तों में शामिल थे. शैलेंद्र ने ही सिनेमा की दुनिया में गुलजार के कदम रखवाए.

गुलजार से गुजारिश

शैलेंद्र और एसडी बर्मन के बीच कहासुनी हुई जिस पर विमल राय की फिल्म बंदिनी के गाने लिखने की शैलेंद्र ने गुलजार से गुजारिश की.

मोरा गोरा रंग लाई ले

गुलजार साहब ने बंदनी फिल्म का गाना मोरा गोरा रंग लाई ले लिखा और यहीं से उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ा दिए.

गुलजार का असली नाम

फिल्मों में काम करने से पहले अपना नाम गुलजार साहब ने बदल दिया, उनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है.

सभी सुनते हैं नज्म

गुलजार खुद को कल्चरली मुसलमान बताते हैं. 18 साल का युवा हो या 80 साल के बुजुर्ग सभी उनकी नज्में सुनते हैं.

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