Happy Birthday Gulzar: गुलजार साहब कैसे बन गए हिंदी सिनेमा के फेमस गीतकार
गुलजार साहब का जन्म 18 अगस्त 1934 को हुआ, बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आकर अपने परिवार संग वे अमृतसर बस गए. बाद में पढ़ाई के लिए वो दिल्ली आए थे.
फिर पैसे कमाने गुलजार साहब ने मुंबई का रुख किया. जहां शुरुआत उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. गैराज में भी काम उन्होंने काम किया.
1963 में आई फिल्म बंदिनी से गुलजार साहब को पहला ब्रेक मिला. उन्होंने इस फिल्म के लिए एक गाना लिखा था.
दरअसल गैराज में काम करते हुए भी गजल, नज्म और शायरी से गुलजार साहब का इश्क कम नहीं हुआ. तब के जाने-माने लेखकों से उनकी दोस्ती हो गई.
कृष्ण चंदर, राजिंदर सिंह बेदी व जाने-माने गीतकार शैलेंद्र भी उनके दोस्तों में शामिल थे. शैलेंद्र ने ही सिनेमा की दुनिया में गुलजार के कदम रखवाए.
शैलेंद्र और एसडी बर्मन के बीच कहासुनी हुई जिस पर विमल राय की फिल्म बंदिनी के गाने लिखने की शैलेंद्र ने गुलजार से गुजारिश की.
गुलजार साहब ने बंदनी फिल्म का गाना मोरा गोरा रंग लाई ले लिखा और यहीं से उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ा दिए.
फिल्मों में काम करने से पहले अपना नाम गुलजार साहब ने बदल दिया, उनका असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है.
गुलजार खुद को कल्चरली मुसलमान बताते हैं. 18 साल का युवा हो या 80 साल के बुजुर्ग सभी उनकी नज्में सुनते हैं.