हरसिंगार के फूल और पौधे का सनातन धर्म में धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. इसे परिजात, हरसिंगार, हरश्रृंगार, श्रृंगार आदि नामों से भी जाना जाता है.
धार्मिकता के अलावा यह पौधा औषधीय गुणों से भी भरपूर है. हरसिंगार से जोड़ों का दर्द और साइटिका से तत्काल राहत मिल सकती है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस पौधे को स्वर्ग से धरती पर लाए थे. शास्त्रों में पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है.
वैज्ञानिक दृष्टि से हरसिंगार एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से संपन्न है.
डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बुखार को खत्म करने की क्षमता हरसिंगार की पत्तियों में होती है.
हरसिंगार के फूल को रात की रानी भी कहा जाता है क्योंकि यह फूल सिर्फ रात को ही खिलता है
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद रहता है. इस लिहाज से कई बीमारियों में हरसिंगार की पत्तियां संजीवनी से कम नहीं है
इसकी पत्तियों में एंटी-डायबेटिक गुण है. इसके लिए पत्तियों को पीस लें और इसे पानी में हल्का गर्म कर सुबह-सुबह पी लें. ब्लड शुगर को बहुत हद तक कंट्रोल करेगा.
इस मौसम के लिए परिजात बेहद उपयोगी है. सर्दी के दिनों में परिजात की पत्तियों को चाय बनाकर भी पी सकते हैं. यदि सर्दी-जुकाम है तो ये बेहद कारगर है.
हरसिंगार की पत्तियों और फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है.